सहरसा में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से बटोही तथा वैदेही कला संग्रहालय, का तीन दिवसीय महोत्सव के अंतिम दिन कला रूपों में राम कथा वैश्विक परिदृश्य विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रोफेसर राम नारायण साहू ने की। विषय प्रवर्तन प्रोफेसर ओम प्रकाश भारती ने की वक्तव्य देते हुए डॉ. भारती ने कहा कि राम कथा पर आधारित कला रूपों का विकास विश्व स्तर पर देखने को मिलता है।

विशेषकर इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, फिजी तथा मॉरीशस आदि देशों में राम कथा पर आधारित कला रूपों की समृद्ध परंपरा है। राम कथा में जीवन मूल्यों के निर्माण का वह सूत्र हैं, जो किसी भी देश की संस्कृत परंपराओं को गौरवशाली बनाता है। रामकथा अंतर्राष्ट्रीय राजनायिक एवं सांस्कृतिक संबंधों का सेतु है। राम कथा के माध्यम से भारत की गौरवशाली परंपरा का विस्तार विदेशों में हुआ।
अध्यक्षीय संबोधन कर रहे प्रोफेसर राम नारायण साहू ने कहा कि मिथिला में राम कथा जन-जन में व्याप्त है। इस संगोष्ठी में बाली द्वीप समूह से डॉ. पोंपी पाल ने बाली तथा इंडोनेशिया के कलारूपों में रामकथा विषय, डॉ. काडुम्ब ने थाइलैंड के कलारूपों में रामकथा, प्रोफेसर अजय अंकोला ने मिथिला के चित्रकला में रामकथा विषय तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के शोधार्थी भाग्यश्री रावत ने महाराष्ट्र के कलारूपों में रामकथा विषय पर अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। इस अवसर पर श्री नरेश यादव,महेंद्र कुमार, अमित कुमार , रौशन कुमार और प्रीति उपस्थित थे।