सहरसा। बिहार राज्य मिड डे मिल वर्कर्स यूनियन, जिला समिति सहरसा ने शनिवार को जिला पीएचईडी एवं पोषण योजना कार्यालय के समक्ष जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान यूनियन के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के नाम **13 सूत्री मांग पत्र** सौंपा और अपनी समस्याओं के त्वरित समाधान की गुहार लगाई।
धरना-प्रदर्शन में शामिल रसोइयों और वर्करों ने कहा कि वे वर्षों से विद्यालयों में बच्चों को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं, लेकिन उनके श्रम का समुचित मूल्य नहीं मिल रहा। उनकी प्रमुख मांगों में **न्यूनतम वेतनमान लागू करना, 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश के अनुरूप सरकारी कर्मचारी का दर्जा देना और 26 हजार रुपये मासिक वेतन सुनिश्चित करना** शामिल है।
इसके साथ ही यूनियन ने **सेवा अवधि 10 महीने से बढ़ाकर 12 महीने करने, सेवा सुरक्षा की गारंटी देने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ उपलब्ध कराने** और कार्य परिस्थितियों में सुधार लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी मिड डे मील वर्करों को मानदेय और आवश्यक सुविधाएं मिलनी चाहिए।
मांग पत्र में **नियुक्ति की उम्र सीमा 65 वर्ष करने, हर साल एक जोड़ी ड्रेस व धुलाई भत्ता देने, मृत रसोइयों के आश्रितों को अनुदान राशि उपलब्ध कराने** तथा निजी ठेकेदारों व एनजीओ को मिड डे मील का कार्य देने पर रोक लगाने जैसी बातें भी शामिल हैं।
यूनियन के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगों पर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाती है, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान रसोइयों ने नारेबाजी कर सरकार से न्याय दिलाने की अपील की।
कुल मिलाकर, मिड डे मिल वर्कर्स यूनियन का यह आंदोलन उनके **बेहतर वेतन, सम्मानजनक दर्जा और सामाजिक सुरक्षा** की मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
