बिहार में सुशासन भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एजेंडे में सबसे ऊपर रहा हो लेकिन ने हाल के दिनों में राज्य के अंदर कानून व्यवस्था तेजी के साथ नीचे गिरी है। बिहार में अपराधियों का बोलबाला देखने को मिल रहा है और हत्या से लेकर लूट और अन्य तरह के अपराध को लगातार अपराधी अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में अब सुशासन की यूएसपी बचाने के लिए नीतीश कुमार ने पुलिसिंग को टास्क दे दिया है। मुख्यमंत्री ने राज्य के डीजीपी को स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि अगर बिहार में कानून का राज नहीं बचा तो फिर पुलिसकर्मियों के लिए दिक्कत होगी। इसके बाद बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद पहली दफे शराब के अलावे 10 बड़े क्राइम को लेकर कैटेगरी बनाई गई है।
बिहार पुलिस ने कानून का राज स्थापित करने के लिए 10 गंभीर माने जाने वाले क्राइम को कैटिगराइज्ड किया है। इसमें हत्या, डकैती, लूट, फिरौती के लिए अपहरण के साथ-साथ रंगदारी को भी गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा सार्वजनिक जगहों पर फायरिंग, हथियार लहराना या धमकी देना मोबाइल चेन स्नैचिंग के साथ-साथ महिला और एससी एसटी के खिलाफ अपराध और अत्याचार को भी गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। गृह विभाग ने दिशा–निर्देश जारी करते हुए इस तरह के अपराधों को लेकर पुलिस को ज्यादा सशक्त रहने का निर्देश दिया है और हर दिन पुलिस मुख्यालय को इसकी मॉनिटरिंग करने के लिए भी कहा है। हालांकि शराबबंदी कानून या शराब को लेकर अपराधिक मामलों को इस श्रेणी में जगह नहीं दी गई है। मुख्यमंत्री के एजेंडे में शराबबंदी सबसे ऊपर है लिहाजा अब तक के पुलिस का ज्यादातर फोकस उसी पर रहा है।
गृह विभाग के ताजा दिशा–निर्देश में यह भी कहा गया है कि राज्य के सभी बड़े जिलों में हर महीने कम से कम 10 अपराधिक मामलों की स्पीडी ट्रायल कराई जाए। प्रमंडलीय मुख्यालय वाले जिलों में 10 मामलों की स्पीडी ट्रायल और बाकी के जिलों में 5 मामलों की स्पीडी ट्रायल कराने के लिए टास्क दिया गया है। कुर्की जब्ती की वीडियोग्राफी कराने और साथ ही साथ अपराधियों ऊपर नकेल कसने के लिए पुराने मामलों में उनकी गिरफ्तारी का भी निर्देश दिया गया है। इसके अलावा अनुसंधान यानी जांच के काम में तेजी लाने, ट्रायल की व्यवस्था को दुरुस्त करने जेल में बंद अपराधियों पर नजर रखने का भी पुलिस को दिया गया है।