बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव से पहले ही हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री **नीतीश कुमार** के प्रस्तावित मुजफ्फरपुर दौरे से पहले जिले की **सकरा विधानसभा सीट** से जेडीयू विधायक **अशोक चौधरी** के खिलाफ जबरदस्त विरोध देखने को मिला है।
जिले के कई इलाकों, खासकर **रामपुर कृष्ण पंचायत** के गांवों में विधायक के खिलाफ **‘लापता’ पोस्टर** लगाए गए हैं। पोस्टरों पर लिखा गया है — “हमारे विधायक कहां हैं?”, “पांच साल में क्षेत्र से गायब रहे विधायक की तलाश है।”
यह घटनाक्रम उस वक्त हुआ है, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन को लेकर पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी तैयारियों में जुटे थे। लेकिन उसी बीच इन पोस्टरों के लगने से जेडीयू संगठन में खलबली मच गई है।
स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं का आरोप है कि विधायक अशोक चौधरी पिछले पांच वर्षों से जनता से पूरी तरह कटे हुए हैं। न किसी विकास कार्य में रुचि दिखाई और न ही जनता की समस्याओं को सुना। यही कारण है कि अब लोग खुलेआम नाराजगी जता रहे हैं।
**जिला किसान और सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रवि भूषण** ने कहा,
> “हमारे विधायक ने पांच साल में कोई काम नहीं किया। जो भी काम हुए, वे दूसरे दल के लोगों के जरिए कराए गए। यहां तक कि उनके पुत्र तक कह रहे हैं कि टिकट पांच करोड़ रुपये में खरीदा गया। इससे मुख्यमंत्री और पार्टी की छवि को नुकसान हो रहा है।”
इसी तरह **जेडीयू प्रखंड उपाध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा** और **वरिष्ठ नेता सूरज कुमार** ने भी विधायक के खिलाफ खुलकर बयान दिया है। उनका कहना है कि अगर अशोक चौधरी को फिर से टिकट मिला, तो वे उनका समर्थन नहीं करेंगे। कार्यकर्ताओं के अनुसार विधायक ने अपने कार्यकाल में न तो जनता से संपर्क बनाए रखा और न ही क्षेत्रीय विकास के लिए कोई ठोस पहल की।
**जेडीयू की बैठक में उठा मामला:**
मुख्यमंत्री के स्वागत की तैयारी को लेकर बुलाई गई एक बैठक में भी यह मुद्दा उठा। कई कार्यकर्ताओं ने तय किया कि वे मुख्यमंत्री के सामने विधायक के खिलाफ नाराजगी का मुद्दा रखेंगे। बैठक में यह भी कहा गया कि विधायक के रवैये के कारण पार्टी की साख पर सवाल उठ रहे हैं।
**कौन हैं अशोक चौधरी:**
अशोक चौधरी ने वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी के रूप में **कांग्रेस के उमेश कुमार राम** को मामूली अंतर से हराया था। उन्हें 67,265 वोट मिले थे, जबकि उमेश राम को 65,728 वोट। उस चुनाव में मुजफ्फरपुर जिले की 11 सीटों में से केवल **सकरा सीट** पर ही जेडीयू को जीत मिली थी।
लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं। जनता और पार्टी कार्यकर्ता दोनों ही विधायक से नाराज हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सकरा की यह बगावत आने वाले विधानसभा चुनाव में जेडीयू के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकती है।
विधायक के खिलाफ उठ रही नाराज़गी से यह साफ संकेत मिलता है कि इस बार पार्टी को टिकट वितरण में भारी दबाव झेलना पड़ सकता है।
नीतीश कुमार के आगमन से पहले जिस तरह से “लापता विधायक” के पोस्टर गांव-गांव में चिपकाए गए हैं, वह न सिर्फ स्थानीय असंतोष का प्रतीक है, बल्कि यह भी बताता है कि जनता अब अपने प्रतिनिधि से जवाब मांगने के मूड में है।
