भागलपुर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में टीएमसी के एक पूर्व नेता द्वारा बाबरी मस्जिद के नाम पर शिलान्यास किए जाने के बाद सियासी तापमान तेजी से बढ़ने लगा है। इस पूरे विवाद ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। इसी मुद्दे पर रविवार को भागलपुर पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार चौबे ने कड़ा रुख अपनाया और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर दी।

 

सर्किट हाउस में प्रेस को संबोधित करते हुए चौबे ने कहा कि उन्हें मस्जिद से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन विदेशी आक्रमणकारी बाबर के नाम पर मस्जिद का शिलान्यास करना देश की सनातन संस्कृति का घोर अपमान है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान किसी भी कीमत पर बाबर जैसे आक्रमणकारी का महिमामंडन स्वीकार नहीं करेगा। चौबे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी गतिविधियाँ न केवल सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देती हैं बल्कि देश की सांस्कृतिक एकता पर भी चोट पहुंचाती हैं।

 

उन्होंने इस घटना को गंभीर बताते हुए मांग की कि जिस व्यक्ति ने यह शिलान्यास किया है, उस पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। चौबे ने आरोप लगाया कि टीएमसी ने केवल दिखावे के लिए अपने विवादित नेता को पार्टी से बाहर किया है, जबकि हकीकत में न तो कोई सख्त कार्रवाई हुई है और न ही ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने की कोई गंभीर कोशिश दिखती है।

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लगातार अराजकता, हिंसा और सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है। शासन-प्रशासन की विफलता साफ दिखाई देती है और आम जनता असुरक्षित महसूस कर रही है। ऐसी स्थिति में, उन्होंने कहा, राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना ही एकमात्र विकल्प बचता है, ताकि कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके।

 

चौबे के इस बयान के बाद बंगाल की राजनीति में नई बहस शुरू हो गई है। भाजपा इस मुद्दे को सांस्कृतिक अपमान से जोड़कर आक्रामक रुख में दिख रही है, वहीं टीएमसी इसे राजनीतिक साजिश बताकर भाजपा पर ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगा रही है।

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