बिहार की राजनीति में मंगलवार का दिन भागलपुर के नाम रहा। सुबह से ही यहां सियासी घटनाक्रम तेजी से बदलते रहे। सबसे पहले गोपालपुर के जेडीयू विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात नहीं होने के कारण नाराज हो गए और उन्होंने सीएम आवास के बाहर गमछा बिछाकर धरना दे दिया। गोपाल मंडल की नाराजगी का कारण था कि टिकट वितरण में उनकी राय को नजरअंदाज किया जा रहा है। वह खुले तौर पर कह चुके हैं कि पार्टी में उनकी उपेक्षा की जा रही है और उन्हें नीतीश कुमार से मिलने तक नहीं दिया गया।

विधायक के इस विरोध प्रदर्शन के कुछ ही घंटों बाद भागलपुर के सांसद अजय मंडल ने भी बगावती तेवर दिखा दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस्तीफा देने की अनुमति मांगी। सांसद ने आरोप लगाया कि टिकट बंटवारे में उनकी सलाह को दरकिनार कर दिया गया है और संगठन में उनकी अनदेखी की जा रही है। उनका कहना है कि वे लगातार क्षेत्र के विकास के लिए काम कर रहे हैं, फिर भी पार्टी में उन्हें महत्व नहीं मिल रहा।

विधायक और सांसद दोनों की नाराजगी ने न सिर्फ एनडीए गठबंधन को असहज कर दिया है बल्कि विपक्ष को भी हमला बोलने का मौका दे दिया है। राजद और कांग्रेस नेताओं ने तुरंत बयान जारी करते हुए कहा कि “भाजपा-जेडीयू में अंदरूनी कलह अब खुलकर सामने आ रही है।”

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस विवाद की जड़ केवल टिकट वितरण नहीं, बल्कि भागलपुर जिले में वर्चस्व की लड़ाई भी है। एक तरफ गोपाल मंडल अपनी जनप्रिय छवि और सीधी बात के लिए जाने जाते हैं, वहीं अजय मंडल सांसद होने के नाते क्षेत्रीय राजनीति में प्रभाव रखते हैं। दोनों ही नेता लंबे समय से एक-दूसरे के समानांतर चल रहे हैं, और टिकट बंटवारे ने इस दूरी को और बढ़ा दिया है।

फिलहाल दोनों नेताओं के पैंतरे से भागलपुर की राजनीति में उबाल आ गया है। पार्टी नेतृत्व दोनों को मनाने की कोशिश में जुटा है, लेकिन जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि एनडीए के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है। आगामी चुनाव से पहले इस तरह की असहमति गठबंधन के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकती है।

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