पेट्रोलियम उत्पादों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने के बजट प्रस्ताव से देश के अधिकांश हिस्सों में डीजल के दाम एक अक्टूबर, 2022 से दो रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं , जबकि पूर्वोत्तर जैसे कुछ क्षेत्रों में भी पेट्रोल की कीमतें बढ़ सकती हैं। यह बढ़ोतरी एथनॉल या बायोडीजल के मिश्रण के बगैर बिकने वाले पेट्रोल-डीजल में होगी।

फिलहाल गन्ने या अन्य खाद्यान्न से निकाले गए एथनॉल को 10 प्रतिशत के अनुपात में ही पेट्रोल में मिलाया जाता है। तेल के आयात पर निर्भरता को कम करने और किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत मुहैया कराने के लिए पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण की अनुमति दी गई है।

देश के करीब 75-80 फीसदी हिस्से में एथनॉल-मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति की जाती है, जबकि अन्य हिस्सों में लॉजिस्टिक समस्याओं के चलते इसकी आपूर्ति प्रभावित है।  दूसरी तरफ डीजल में मिश्रण के लिए गैर-खाद्य तिलहनों से निकाले गए बायोडीजल का इस्तेमाल किया जाता है। देश में कृषि एवं परिवहन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर डीजल का ही इस्तेमाल होता है।

इस लिहाज से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2022-23 में बिना मिश्रण वाले ईंधनों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने का कदम पेट्रोल एवं डीजल के दाम बढ़ा सकता है। सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि एक अक्टूबर, 2022 से बिना ‘मिलावट’ वाले ईंधनों पर दो रुपये प्रति लीटर की दर से अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगेगा।

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पेट्रोलियम उद्योग से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सरकार का यह फैसला एक तरफ तो तेल कंपनियों को पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण के लिए प्रोत्साहित करेगा, वहीं बायोडीजल की खरीद के लिए आठ महीनों में ढांचा खड़ा कर पाने की संभावना कम है। ऐसी स्थिति में पूर्वोत्तर राज्यों जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में पेट्रोल एवं डीजल के दाम एक अक्टूबर, 2022 से बढ़ सकते हैं।

इसकी वजह यह है कि वहां पर एथनॉल या बायोडीजल मिश्रण वाले ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाएगी।  गौर करने वाली बात यह है कि डीजल की बिक्री तो देश के अधिकांश इलाकों में बिना किसी मिश्रण के ही होती है।

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