आने वाले वर्षों में बिहार के लोगों को और सस्ती बिजली मिलेगी। मौजूदा वित्तीय वर्ष से एक तिहाई बिजली ताप बिजली (थर्मल पावर) घरों के बदले गैर परम्परागत (नवीन एवं नवीकरणीय) ऊर्जा आपूर्ति होगी।
अगले पांच वर्षों में 43 फीसदी बिजली गैर परम्परागत ऊर्जा आपूर्ति की जाएगी। चूंकि ताप घरों से मिलने वाली बिजली की तुलना में गैर परम्परागत ऊर्जा आधी दर तक सस्ती होती है। ऐसे में सस्ती बिजली की खरीदारी करने पर कंपनी को कम पैसे खर्च करने होंगे और इसका लाभ आम लोगों को मिलेगा। अगले वित्तीय वर्ष से इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा। राज्य में गैर परम्परागत ऊर्जा आपूर्ति के लिए कोटा तय करने के लिए बिहार विद्युत विनियामक आयोग एक रेगुलेशन बनाने जा रहा है। इसके लिए आयोग ने खुद संज्ञान लिया है। आम लोगों से सुझाव मांगे गए है। इसी महीने आयोग इस मसले पर सुनवाई करेगा। इसके बाद अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए आयोग रेगुलेशन को अंतिम रूप दे देगा। इसके अमल में आते ही मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 में 33 फीसदी बिजली गैर परम्परागत ऊर्जा आपूर्ति की जाने की बाध्यता हो जाएगी। गैर परम्परागत ऊर्जा आपूर्ति करने की दिशा में बिजली कंपनी ने काम भी शुरू कर दिया है। कंपनी ने अभी 10 हजार 597 मेगावाट बिजली का करार कर रखा है। इनमें से कोयला आधारित बिजली घरों से 6941 मेगावाट का करार है।
बिजली कंपनी गैर परम्परागत बिजली के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना पर भी काम कर रही है। लखीसराय के कजरा में 185 मेगावाट की सोलर बिजली घर परियोजना पर काम जारी है। कजरा में ही 116 मेगावाट की एक और भंडारण प्रणाली बिजली घर परियोजना पर काम करने का निर्णय लिया गया है। इस तरह केवल कजरा से ही 301 मेगावाट सोलर बिजली का उत्पादन होगा, जो बैट्री भंडारण आधारित देश की सबसे बड़ी परियोजना है। पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत निजी आवासीय भवनों की छतों पर सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं।