एक बार फिर यूपी और बिहार जाने वाली ट्रेनें खचाखच भरने लगी हैं। रोजगार छूटने की बेबसी लिए लोग कंधे पर पूरी गृहस्थी लादे भागे चले जा रहे हैं। कतारों का कोई अंत नहीं दिखाई दे रहा है। हर किसी को बस एक ही फिक्र है…ट्रेन में जगह पाने की, ताकि लॉकडाउन से पहले अपनों के बीच पहुंच सकें। सैकड़ों किलोमीटर का वह सफर न करना पड़े, जो पिछले साल कइयों के लिए जानलेवा बन गया था।
जलालुद्दीन कहते हैं कि सूखी रोटी खा लेंगे, पर गांव में ही रहेंगे।
उत्तर प्रदेश के बहराइच में रहने वाले जलालुद्दीन ने कहा, “लॉकडाउन लगने वाला है इसलिए मुंबई छोड़कर जा रहा हूं। यहां एल्युमीनियम का काम करता हूं। पिछली बार लॉकडाउन में फंस गया था तो बहुत मुसीबत हो गई थी। घरवाले भी बाेल रहे हैं कि सब छोड़ कर आ जाओ। सब बाेल रहे हैं लॉकडाउन लग रहा है। मेरी ट्रेन आज सुबह 5:25 की है। मैं रात को 10 बजे ही आ गया था। कुछ भी खाया-पिया नहीं है। पुलिस वाले के पास गए तो वो बोला कि कन्फर्म टिकट होगा, तभी जाने देंगे। टिकट नहीं है और न खाने-पीने का इंतजाम। अब तो हम यहां नहीं आएंगे। सूखी रोटी खाएंगे, लेकिन परिवार के साथ गांव में रहेंगे।”