भागलपुर:
सैनडिस्क कंपाउंड मैदान स्थित योगा केंद्र में आज राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। इस धरने में सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी शामिल हुए और उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे मार्च महीने में भी इन्हीं मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे और उस समय उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उनकी समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा। लेकिन अब तक किसी भी मांग पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।

धरना स्थल पर मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि बार-बार सरकार को ज्ञापन सौंपने और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने के बावजूद उनकी उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि अब उनका धैर्य जवाब देने लगा है और अगर सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया तो वे मजबूर होकर उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

राजस्व कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में वेतन विसंगतियों को दूर करना, समय पर पदोन्नति देना, सेवा शर्तों में सुधार करना, कार्यस्थल पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना, लंबित भत्तों का भुगतान करना, स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता लाना और विभागीय ढांचे में सुधार करना शामिल हैं। कर्मचारियों का कहना है कि ये सभी मांगे जायज़ और लंबे समय से लंबित हैं, जिन्हें अनदेखा किया जा रहा है।

धरना प्रदर्शन में कई वरिष्ठ कर्मचारी नेताओं ने भी हिस्सा लिया और सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कर्मचारी लगातार अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो समय पर वेतन मिलता है, न पदोन्नति, और न ही काम करने की उचित परिस्थितियाँ। कर्मचारियों ने यह भी कहा कि विभागीय कामकाज का अधिकांश बोझ उन्हीं पर होता है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें वह मान-सम्मान और सुविधाएं नहीं मिलतीं जिसकी वे अपेक्षा करते हैं।

धरना स्थल पर एकजुट कर्मचारियों ने तख्तियां और बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन किया। वे “हमारी मांगे पूरी करो”, “वादा निभाओ, हक दिलाओ”, जैसे नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले दिनों में वे कार्य बहिष्कार, कलमबंद हड़ताल जैसे कदम उठाने पर मजबूर होंगे।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि वेतन विसंगति जैसी समस्याएं केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि मानसिक तनाव का भी कारण बनती हैं। इस कारण कार्यक्षमता पर भी असर पड़ता है। उन्होंने अपील की कि सरकार उनके मुद्दों को गंभीरता से लेकर अविलंब समाधान करे।

धरना समाप्त होने से पहले कर्मचारियों ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा और जल्द वार्ता कर समाधान निकालने की मांग की। उन्होंने दोहराया कि अगर उनकी मांगों की अनदेखी की गई तो आने वाले दिनों में आंदोलन का दायरा और तेज किया जाएगा।

राजस्व कर्मचारियों के इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने एक बार फिर से सरकारी तंत्र को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कर्मचारियों की जायज़ मांगों की उपेक्षा कर के प्रशासनिक व्यवस्था को लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता। अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक इन मांगों पर ठोस निर्णय लेती है।

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