अगुवानी-सुल्तानगंज महासेतु का निर्माण कार्य एक बार फिर युद्धस्तर पर शुरू चुका है। देशभर में इस पुल इसलिए सुर्खियां बटोरी थी क्योंकि आंधी-पानी के चलते पुल का सुपर स्ट्रक्चर ढह गया था। जांच के बाद बाढ़ के चलते भी पुल का निर्माण कार्य रुक गया था।

खगड़िया! बहुचर्चित अगुवानी-सुल्तानंगज महासेतु निर्माण का कार्य एक बार फिर शुरू हो गया है। बीच में आए व्यवधान के कारण अब युद्धस्तर पर कार्य शुरू किया गया है। ताकि मौसम का फायदा उठाते हुए कार्य को पूर्ण किया जा सके। इस वर्ष महासेतु निर्माण कार्य की गति पर कई बार ब्रेक लग चुका है। 30 अप्रैल को सुल्तानगंज की ओर से महासेतु के एक हिस्से में सुपर स्ट्रक्चर गिरने से हड़कंप मच गया था। इससे कार्य कई दिनों तक बंद रहा। इस वर्ष गंगा में दो बार बाढ़ आई। जिससे अगुवानी-सुल्तानगंज महासेतु के निर्माण कार्य पर व्यापक असर पड़ा। बाढ़ का पानी जाने के बाद पुन: कार्य आरंभ किया गया है।

पाया नंबर सात और आठ के बीच की दूरी सर्वाधिक है। इसकी दूरी 270 मीटर है। पाया नंबर सात और आठ के बीच सेगमेंट लांचिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है। एक सेगमेंट लांच करने में एक सप्ताह लग जाता है। दोनों पाया के बीच अब केबुुल का कार्य चल रहा है। केवल के बाद इपोक्सी का कार्य आरंभ होगा। इसके उपरांत पाया नंबर सात और आठ का कार्य पूर्ण हो जाएगा। इसके बाद पाया नंबर पांच, छह, नौ, 10, 11 और 12 पर कार्य आरंभ किया जाएगा। इन छह पाया का कार्य संपन्न होने के बाद पुल निर्माण कार्य संपन्न हो जाएगा। तब जाकर आवागमन आरंभ होगा।

मालूम हो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को परबत्ता के केएमडी कालेज मैदान में महासेतु का शिलान्यास किया था। मार्च 2015 से एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी ने महासेतु निर्माण कार्य आरंभ किया, जो अब तक पूर्ण नहीं हो पाया है। महासेतु की लंबाई करीब 3.160 किलोमीटर एवं एप्रोच पथ की लंबाई करीब 25 किलोमीटर है।

बिहार राज्य पुल निर्माण निगम, खगड़िया के वरीय परियोजना अभियंता योगेंद्र कुमार ने कहा कि गंगा की बाढ़ के कारण महासेतु निर्माण कार्य में काफी विलंब हुआ है। अब कार्य फिर से शुरू किया गया है। युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है।

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