भागलपुर में एनटीपीसी कहलगांव द्वारा विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के SAMARTH Mission के सहयोग से “बायोमास को-फायरिंग” विषय पर एक दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का भव्य आयोजन नगर परिसर स्थित अंग भवन में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस महत्वपूर्ण कार्यशाला के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी (IAS), समाहर्ता एवं जिला दंडाधिकारी, भागलपुर रहे।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास को-फायरिंग के उपयोग को बढ़ावा देना, फसल अवशेषों के वैज्ञानिक प्रबंधन को प्रोत्साहित करना और पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान निकालते हुए स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना था।
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बायोमास को-फायरिंग को पर्यावरण संरक्षण, किसानों की आय बढ़ाने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने का एक अत्यंत प्रभावी उपाय बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं किसानों, उद्योगों और प्रशासन के बीच मजबूत समन्वय स्थापित करती हैं। पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने और कृषि अवशेषों के बेहतर उपयोग के लिए बायोमास को-फायरिंग एक व्यवहारिक समाधान है। उन्होंने एनटीपीसी और SAMARTH Mission की इस पहल को सराहते हुए कहा कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों को लाभ होगा।
इस मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्री रवि प्रकाश अग्रवाल, मिशन निदेशक, SAMARTH Mission, और श्री जितेश श्रीवास, उप निदेशक (TE&TD), केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण भी जुड़े। उन्होंने प्रतिभागियों को देशभर में बायोमास को-फायरिंग की वर्तमान स्थिति, तकनीकी चुनौतियों, भविष्य की योजनाओं और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में इसकी भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी।
श्री अग्रवाल ने बताया कि देश के ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास को-फायरिंग अपनाने से कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी संभव है। वहीं श्री जितेश श्रीवास ने कहा कि एनटीपीसी न केवल ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने में भी निरंतर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बायोमास को-फायरिंग जैसे मॉडल से भारत स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर ऊर्जा की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा।
कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों द्वारा बायोमास को-फायरिंग से जुड़े तकनीकी, पर्यावरणीय और आर्थिक पहलुओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई। किसान प्रतिनिधियों, तकनीकी विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों ने मिलकर संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा की। कार्यक्रम के अंत में यह संदेश उभरा कि बायोमास को-फायरिंग न केवल ऊर्जा क्षेत्र के लिए लाभकारी है, बल्कि किसानों, पर्यावरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा अवसर है।
