हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने पार्टी की सियासी रणनीति में बड़े बदलाव के संकेत दिए थे। उन्होंने मुस्लिमों को भी पार्टी से जोड़ने का संकेत देते हुए कहा था कि हमें तुष्टीकरण नहीं बल्कि तृप्तिकरण पर फोकस करना है। उनकी इस सलाह पर अब उत्तर प्रदेश भाजपा ने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।

इसके लिए भाजपा ने पसमांदा मुस्लिमों तक पहुंच बनाने का फैसला लिया है। मुस्लिमों में ओबीसी, एससी और एसटी जातियों के समतुल्य बिरादरियों को पसमांदा कहा जाता रहा है। पसमांदा मुस्लिमों को लुभाने का पहला प्रयोग भाजपा ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में किया था। 

उस दौरान उत्तर प्रदेश के संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने मुस्लिमों की धोबी, नाई, कसाई और लुहार जैसी बिरादरियों तक पहुंचने का प्लान तैयार किया था। अब भाजपा ने मुस्लिमों की 8 जातियां तय की हैं, जिन तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा और उनके वोट हासिल कर भाजपा मुस्लिम मतदाता वर्ग की भी बड़ी हिस्सेदार बनना चाहती है। भाजपा ने जिन 8 जातियों को साधने की रणनीति तैयार की है, उनमें मलिक (तेली), मोमिन अंसार (जुलाहा), कुरैश (कसाई), मंसूरी (धुनिया), इदरीसी (दर्जी), सैफी (लुहार), सलमानी (नाई), हवारी (धोबी) शामिल हैं। 

हर विधानसभा में 10,000 वोटों का लक्ष्य

भाजपा के एक नेता ने यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति को लेकर कहा, ‘पश्चिम यूपी ने कार्यकर्ताओं को टारगेट दिया था कि हर विधानसभा में मुस्लिमों के 10 हजार वोट मिलने चाहिए। इसके लिए दो पसमांदा मुस्लिम नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी। खासतौर पर ऐसे समुदायों तक पहुंचने का प्रयास किया गया, जिन्हें सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ मिला है।

हमने उन्हें समझाया कि उनकी स्थिति भाजपा के शासन में ही बदल सकती है। हमारा मानना है कि करीबी मुकाबले में हमारी इस रणनीति ने असर दिखाया।’ पश्चिम यूपी में भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष जावेद मलिक भी इसे सही मानते हैं। 

करीबी मुकाबले वाली सीटों पर मिला था बड़ा फायदा

दरअसल भाजपा ने इस रणनीति पर बूथवार काम करने का फैसला लिया है। विधानसभा चुनाव में भी हर बूथ पर 20 मुस्लिम वोटों का लक्ष्य तय किया गया था। पार्टी के एक नेता ने कहा कि हमें मुस्लिमों के 7 से 8 फीसदी वोट मिले हैं और इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की ही थी।

जावेद मलिक अखिल भारतीय पसमांदा मंच के भी मुखिया हैं। उन्होंने कहा कि धामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, बड़ौत और बिलासपुर जैसी सीटों पर भाजपा को मदद मिली थी, जहां जीत का अंतर 200 से 700 वोटों का ही था। अब 2024 के लिए इस रणनीति को और धार देने की तैयारी भाजपा कर रही है।

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