बिहार के भ्रष्ट इंजीनियर के घर में रुपयों की खदान देखने को मिली। किशनगंज और पटना में उसके ठिकानों पर की गई छापेमारी में इतना ज्यादा कैश मिला कि देखने वालों की आंखें चौंधिया गई। जानकारी मुताबिक बिस्तर और किताबों से नोट बरामद किए गए।

भागलपुर:  बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग में तैनात एग्जीक्यूटिव इंजीनियर धनकुबेर निकाला। उसके ठिकानों से जो कैश बरामद हुआ, उसे देखने वालों की आंखें चौंधिया सी गईं। किशनगंज-पटना स्थित आवास से करोड़ों का कैश बरामद हुआ। जानकारी मुताबिक भ्रष्ट इंजीनियर ने किताबों और बिस्तरों में नोटों के बंडल बनाकर रखें थे। शनिवार को निगरानी विभाग की टीम ने इंजीनियर संजय कुमार राय के किशनगंज और पटना स्थित ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। रेड में 5 करोड़ से ज्यादा रुपये बरामद होने की बात सामने आ रही है। यही नहीं, भारी मात्रा में गहने और अन्य कीमती सामान भी मिली है, ऐसा कहा जा रहा है।

कार्रवाई के बाद भ्रष्ट इंजीनियर संजय राय पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है। किशनगंज और पटना के दानापुर स्थित दो ठिकानों पर हुई छापेमारी के बाद जो तस्वीरें सामने आई वो कई सवाल खड़े कर रही हैं। नोटों को गिनने के लिए मशीनें मंगवाई गई। बता दें कि इंजीनियर संजय राय ग्रामीण कार्य विभाग किशनगंज प्रभाग में तैनात है। यहां किशनगंज में संजय राय के आवास पर निगरानी के 14 अधिकारियों ने छापेमारी की। निगरानी विभाग के डीएसपी अरुण पासवान के नेतृत्व में की गई रेड में कार्यपालक इंजीनियर संजय राय के कैशियर खुर्रम सुल्तान, निजी इंजीनियर ओम प्रकाश यादव के यहां भी बड़े पैमाने पर कैश मिला है। 

नोंटों की बिना गिनती किए रखते थे इंजीनियर के निजी सहायक

ओमप्रकाश के आवास पर जमा होता था काम के एवज में ठेकेदारों से वसूला गया कमीशन

लाखों में पहुंच रहा कमीशन जमा होते हो गया करोड़ों, धीरे-धीरे इंजीनियर लगाते थे ठिकाना

इंजीनियर के निजी सहायक के घर से मिला योजनाओं के हिसाब किताब का डायरी

आठ घंटे में पूरी हुई इंजीनियर के ठिकानों से बरामद नोटों की गिनती

किशनगंज : शहर के लाइनपाड़ा में शनिवार की दोपहर उस समय सनसनी फैल गई जब निगरानी विभाग की टीम तीन ठिकानों पर छापेमारी करने एक साथ पहुंची। टीम ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियर के निजी सहायक के रूप में काम करने वाले और नाजिर के घर लाइनपाड़ा में छापेमारी के अलावा एक ठेकेदार के घर छापेमारी की। इस दौरान सबसे अधिक रुपये 3 करोड़ दो लाख 1500 रुपये इंजीनियर के निजी सहायक के कमरे से मिला।

निगरानी अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार निजी सहायक ओमप्रकाश यादव छात्र बनकर लाइनपाड़ा में किराए के कमरा में रहकर ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल वन के इंजीनियर के कमिशन के पैसा को सुरक्षित भंडारण कर रखने का काम करता था। हालांकि यह भी बताया जाता है कि ओमप्रकाश ग्रामीण कार्य विभाग के कई इंजीनियर सहित अधिकारियों का रुपये रखने का काम करता था।

वो पूर्व के ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता के ग्रामीण थे और उसी समय से यहां रह रहे थे। इसी दौरान इंजीनियरों के संपर्क में आए और उनके पास ठेकेदारों का कमिशन का पैसा पहुंचता था और वह उसे सुरक्षित जमा कर रखता था। इतनी बड़ी रकम किस ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता संजय कुमार राय का है या विभाग के विभिन्न इंजीनियरों का जमा था यह जांच के बाद ही खुलासा हो पाएगा।

इंजीनियर के निजी सहायक के तौर पर काम करने वाले मधुबनी जिला निवासी ओमप्रकाश यादव ने बताया कि उसके पास विभाग के कई इंजीनियरों का पैसा पहुंचता था। कमिशन का पैसा लेकर ठेकेदार पहुंचते थे और रकम बताकर उसे दे देते थे। स्थिति ऐसी हो गई थी कि लाखों-करोड़ों रुपये के नोटों के बंडल के साथ प्रतिदिन ओमप्रकाश का सोना और खेलना आदत सी हो गई थी। वहीं उस पैसे को समय-समय पर इंजीनियर के परिचितों के पहुंचने पर धीरे-धीरे अन्य जगहों पर ठिकाना भी लगाया जा रहा था।

अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस नोटों की गिनती में निगरानी विभाग के आठ घंटे लगे उस नोटों के बंडल को ओमप्रकाश के द्वारा कैसे गिना जाता था। उसने बताया कि बिना गिनती किए ही विश्वास पर रुपये को कार्टन में बंद कर रख दिया जाता था। यह काम ओमप्रकाश के द्वारा कई साल से किया रहा था।

ओमप्रकाश यादव वर्ष 2018 से लाइनपाड़ा स्थित विवेक रंजन के मकान में किराए के कमरा में रहता था, जब पूर्व में के ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता यहां कार्यरत थे। जो उसके गांव का रिश्तेदार लगते थे। बताया कि उसी समय से इंजीनियर एवं अन्य उसके संपर्क में आए। ठेकेदार उसके पास पहुंचते थे और नोटों का बंडल देते थे और बता देते थे कितना है। वह उसे सुरक्षित रख देते थे। फिर विभाग के ही कुछ इंजीनियर एवं अन्य लोग उसके पास आते और हिसाब लेते फिर धीर-धीरे रुपये को ठिकाना पहुंचाते थे। हालांकि निगरानी द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग के वर्तमान कार्यपालक अभियंता संजय कुमार राय के ठिकाने पर छापेमारी की और ओमप्रकाश को उसका निजी सहायक बताया गया है।

लोगों के बीच रही रुपयों की चर्चा

निगरानी टीम के किशनगंज पहुंचकर छापेमारी की चर्चा दिनभर हर ओर फैली रही। करोड़ों रुपये बरामदगी के बाद हर किसी के जुबान पर भ्रष्ट इंजीनियर को लोग कोस रहे थे। लोगों का कहना था जब इंजीनियर ही सब पैसा खा गए तो रोड़ का टूटना कटना आम बात है। इंजीनियर और ठेकेदार के कमीशन के बाद जो राशि बचा उससे जैसे तैसे निर्माण कार्य करा दिया गया। इसका नतीजा सबों के सामने दिख रहा है।

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