बिहार में रामनवमी पर हुई हिंसा को लेकर महागठबंधन की नीतीश सरकार घिरी हुई है. बीजेपी सहित समूचा विपक्ष मोर्चा खोले हुए है. अब इस मामले में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री भी हो चुकी है. ओवैसी ने इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को दोषी ठहराया है. ओवैसी ने कहा, ‘दंगा होता है तो राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है, आयोजकों की जिम्मेदारी होती है. ये स्टेट गवर्मेंट की नाकामयाबी है.’
कुछ ऐसी ही भाषा का इस्तेमाल बीजेपी नेताओं की भी है. पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार को हमला करते हुए कहा, ‘बिहारशरीफ में एक नौजवान की मौत भी हुई है. इसके लिए बिहार सरकार जिम्मेदार है. नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं.’
नीतीश कुमार पर ओवैसी का वार?
AIMIM चीफ ने कहा, ‘नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जानते थे कि यह संवेदनशील इलाका है, फिर भी उन्होंने ऐसा कोई भी सख्त कदम नहीं उठाया जिससे हिंसा न हो.’ उन्होंने कहा, ‘बिहार में जो हुआ, वहां 100 साल के मदरसे को जलाया गया, मस्जिद तोड़ी गई, ये सरकार की नाकामयाबी है. बिहार सरकार के पास रिपोर्ट थी और 2016 में भी हिंसा हुई थी.’ ओवैसी ने आगे कहा, ‘नीतीश कुमार को हिंसा को लेकर कोई भी पछतावा नहीं है. इस सबके बावजूद एक इफ्तार पार्टी में गए थे.’
ओवैसी और बीजेपी की भाषा समान
सुशील मोदी ने इसे सोची-समझी साजिश बताया. उन्होंने कहा, ‘सासाराम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आने वाले थे. इसके लिए यह सोची समझी साजिश थी. ये नीतीश कुमार और उनकी सरकार की असफलता है.’ सुशील मोदी ने कहा, ‘अगर नीतीश कुमार और उनकी सरकार में हिम्मत है, तो वह बीजेपी और RSS पर आरोप लगाने के बजाय हिंसा की न्यायिक जांच कराएं.’ सुशील मोदी ने नीतीश सरकार से पूछा, ‘जो पुलिस बिहारशरीफ और सासाराम में फेल हुई, क्या खुद उसी की जांच भरोसे लायक होगी?’
ध्रुवीकरण से किसे मिलेगा फायदा?
बिहार हिंसा पर ओवैसी खुलकर मुसलमानों की वकालत कर रहे हैं तो बीजेपी भी हिंदू हितों में पीछे नहीं है. बिहार में ओवैसी की एंट्री नहीं हुई थी, तब तक मुसलमान वोटर कभी कांग्रेस, कभी आरजेडी और कभी जेडीयू के साथ बंटते-बिखरते रहे. पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने बिहार में दस्तक दी. पहली ही कोशिश में उन्हें बड़ी कामयाबी मिली. दूसरी हिंदुत्व की दम पर बीजेपी ने भी फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है.