मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति के कार्यक्रम के दौरान यह कहकर बिहार की सियासत को गर्म कर दिया कि बीजेपी से उनकी दोस्ती कभी खत्म नहीं होगी। जेडीयू की तरफ से सफाई दी जा रही है कि मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत दोस्ती की बात की थी वहीं बीजेपी ने भी स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि नीतीश अपने सहयोगियों पर दबाव बनाने के लिए समय समय पर इस तरह का बयान देते रहते हैं और अब बीजेपी का जेडीयू के साथ कभी कोई गठबंधन नहीं होगा।
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति के कार्यक्रम में बीजेपी से दोस्ती वाला जो बयान दिया उसका कुछ अधिक मतलब नहीं है। बीजेपी बार बार इस बात को स्पष्ट कर चुकी है कि अब जेडीयू के साथ भविष्य में न तो कोई संबंध होगा और ना ही कोई गठबंधन बनेगा। नीतीश कुमार इस तरह का बयान सिर्फ आरजेडी और कांग्रेस को डराने के लिए देते हैं। नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस को डराते हैं कि अगर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करोगे तो बीजेपी के साथ भी जा सकता हूं।
सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार बीजेपी को नहीं बल्कि आरजेडी और कांग्रेस को डरा रहे हैं। रह रहकर इस तरह का बयान देकर नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस को भ्रमित करने का काम करते हैं। बीजेपी को न तो कोई भ्रम है और ना ही नीतीश की कोई जरुरत है। नीतीश कुमार के पास कोई वोट नहीं बचा है कि वे उस वोट को एनडीए को दिला सकें। गठबंधन उनके साथ होता है जिसमें कोई ताकत होती है। नीतीश कुमार के पास कोई वोट नहीं बचा और पिछले विधानसभा चुनाव में 44 सीटों पर सिमट गए तो उनके साथ बीजेपी क्यों समझौता करेगी।
समझौता तो ताकतवर के साथ किया जाता है। बिहार में तीन उप चुनाव हुए उसमें दो में नीतीश कुमार बुरी तरह से हार गए एक में बीजेपी को वोट बढ़ा। पिछले एक साल में आरसीपी, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा समेत एक दर्जन जेडीयू के बड़े नेता नीतीश का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी की ताकत लगातार बढ़ रही है। बीजेपी चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और मांझी जैसे सहयोगियों के बलबूते एनडीए लोकसभा का चुनाव लड़ेगी और जैसे 2014 में नीतीश को दो पर आउट किए थे, इसबार उन्हें जीरो पर आउट करने का काम करेंगे।