भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा कल बिहार दौरे पर थे। उनका यह कार्यक्रम पार्टी के पुराने नेता रहे और भीष्म पितामह कहे जाने वाले कैलाशपति मिश्र की 100 वीं जयंती को लेकर तय हुआ था। पटना आने के बाद नड्डा अपने पुराने अंदाज में दिखे और बिहार में बनी वर्तमान सरकार पर जमकर भड़ास निकाली। लेकिन, इन सब के बीच जो सबसे रोचक और अलग बात क्या देखने को मिला वह यह था कि नड्डा अचानक से बिना कोई पहले तय कार्यक्रम के तहत पार्टी के पुराने नेता सीपी ठाकुर से मिलने उनके आवास पहुंच गए।
दरअसल, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जब बापू सभागार में कैलाशपति मिश्र की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर वापस पार्टी दफ्तर जा रहे थे इस दौरान अचानक से वह पार्टी के पुराने नेता सीपी ठाकुर से मिलने उनके आवास पहुंच गए। यहां 20 मिनट तक रुके और सीपी ठाकुर से मुलाकात कर उनका हाल जाना। हालांकि जगत प्रकाश नड्डा इसे महज एक औपचारिक मुलाकात और आत्मीय भेंट बताते हैं। लेकिन, राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को अलग मायने दिए जा रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जगत प्रकाश नड्डा जब दिल्ली से निकले थे तो उन्होंने तय कर लिया था कि इस दफा है वह बिहार में जाकर भूमिहार समाज के तमाम उन बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे जिन्हें यह समाज राजनीतिक तौर अपना आदर्श और गार्जियन मानती है। नड्डा भूमिहार समाज से आने वाले कैलाशपति मिश्र की जयंती में गए और उनके संघर्ष की चर्चा कर बतलाया कि कैसे यह समाज बीजेपी के लिए शुरुआती दौर से ही तत्पर रही है। उसके बाद सीपी ठाकुर से मुलाकात कर इस समाज को एक और संदेश दिया कि नड्डा और भाजपा के दिल में कहीं ना कहीं इस समाज के नेताओं के प्रति सम्मान है। इसके साथ ही भाजपा इस समाज को अपना मूल मतदाता मानती है।
वहीं, कुछ लोगों का यह कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बोचहां उपचुनाव में भाजपा से भूमिहार समाज की काफी नाराजगी हो गई थी। यही वजह थी कि यह चुनाव भाजपा के लिए काफी कठिन रहे और उसे हार का सामना भी करना पड़ा। इस दौरान तेजस्वी यादव ने भूमिहार समाज को साधने के लिए मूल रूप से भूमिहार समाज के नेताओं को अपनी पार्टी से टिकट दिया और सार्वजनिक मंच से यह बयान दिया कि भूमिहार का चूड़ा और यादव जी का दही यदि एक साथ हो जाए तो फिर बिहार में तेजी से विकास होगा।
इसके बाद भाजपा से नाराज इस समाज के वोटर राजद में अपनी उम्मीद तलाश में लगे। लेकिन यह बात देर से ही सही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को समझ में आई और अब जब लोकसभा चुनाव का समय आया तो फिर भाजपा अपने इस मूल वोटर को साथ लाने के लिए और उसकी नाराजगी को दूर करने के लिए समाज के दो बड़े नेता के जरिए अपने पुराने वोटर को मनाने में जुटी हुई है।
गौरतलब हो कि, बिहार की राजनीति में सवर्ण समाज का वोट सत्ता की कुर्सी तय करने का एक मुख्य हिस्सा रहा है। इस समाज की नाराजगी होती है तो भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि,भूमिहार समाज का वोट शुरुआती दौर से ही भाजपा के साथ रहा है। पिछले कुछ दिनों से इस समाज के भी लोग भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं ऐसे में अब भाजपा केंद्रीय नेतृत्व में यह तय कर लिया है कि जल्द से जल्द इस नाराजगी को दूर किया जाए और वापस से अपने इस मजबूत वोट बैंक को साथ लाया जाए।