बिहार के छपरा शहर में बीते तीन दिनों के भीतर हुई तीन हत्या की घटनाओं ने जहां आम जनमानस को दहशत में डाल दिया है, वहीं पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस स्थिति को और भी शर्मनाक बना दिया उस घटना ने, जिसमें खुद कानून के रक्षक ही कानून तोड़ते नजर आए। छपरा के भगवान बाजार थाना क्षेत्र के गंडक कॉलोनी स्थित नाका नंबर 1 TOP-1 पर तैनात पुलिसकर्मी शराब पार्टी करते हुए पकड़े गए। ऐसे समय में जब शहर में अपराध चरम पर है, पुलिसकर्मियों द्वारा शराब का सेवन करना न सिर्फ कर्तव्य विमुखता को दर्शाता है, बल्कि यह बिहार में लागू शराबबंदी कानून की खुली अवहेलना भी है।
हत्या से थर्राया छपरा, नाके पर ही हुई हत्या

बात सिर्फ शराब पार्टी की नहीं है, बल्कि जिस नाके पर यह घटना हुई है, उसी इलाके में एक जाति विशेष के युवक की निर्मम हत्या भी हुई थी। बीते तीन दिनों में शहर में तीन हत्याएं हो चुकी हैं, जिससे शहर में सनसनी का माहौल है। लोगों में जहां डर का वातावरण है, वहीं पुलिस के रवैये से आक्रोश भी है। ऐसे में जब पुलिस को चौकसी बढ़ानी चाहिए, तब उनके द्वारा शराब का सेवन करना आम जनता के विश्वास पर गहरी चोट है।
गुप्त सूचना पर हुई छापेमारी
29 मई 2025 को गुप्त सूचना के आधार पर सारण के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) डॉक्टर कुमार आशीष के नेतृत्व में अपर पुलिस अधीक्षक सह अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर वन और भगवान बाजार थाना की टीम ने गंडक कॉलोनी स्थित नाका नंबर 1 पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान नाके के प्रभारी पुलिस अवर निरीक्षक श्याम बिहारी पांडे, गृह रक्षक विराट राज आनंद सहित तीन अन्य व्यक्ति शराब पीते हुए पाए गए।
शराब सेवन की पुष्टि और गिरफ्तारी
ब्रेन इथलाइजर जांच में इन सभी के शराब पीने की पुष्टि हुई। मौके से 180 एमएल की दो बोतल अंग्रेजी शराब और 600 एमएल शराब छह गिलासों में बरामद की गई। इसके बाद भगवान बाजार थाना में एक कांड दर्ज कर सभी पांचों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
गिरफ्तार लोगों की सूची
- श्याम बिहारी पांडे – प्रभारी, नाका नंबर 1, भगवान बाजार थाना
- विराट राज आनंद – गृह रक्षक सिपाही
- आशीष कुमार मिश्रा – निवासी रोजा पश्चिम, थाना नगर, सारण
- पवन कुमार चंदन – निवासी घेघटा, थाना मुफस्सिल, सारण
- अनिल कुमार – निवासी सखी नई बाजार, थाना भगवान बाजार, सारण
एसएसपी का त्वरित एक्शन
इस घटना पर तत्काल संज्ञान लेते हुए सारण एसएसपी डॉ. कुमार आशीष ने बड़ी कार्रवाई की। उन्होंने नाका नंबर एक के प्रभारी पुलिस अवर निरीक्षक श्याम बिहारी पांडे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही सात दिनों के भीतर विभागीय कार्रवाई के संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा गया है। गृह रक्षक विराट राज आनंद को आजीवन ड्यूटी से वंचित कर आगे की कार्रवाई के लिए गृह रक्षा वाहिनी के वरिष्ठ समादेष्टा सारण को भेजा गया है।
पुलिस की छवि को गहरा धक्का
यह घटना पुलिस प्रशासन की छवि पर करारा प्रहार है। जहां आम लोग अपराध से सुरक्षा की उम्मीद करते हैं, वहीं अगर पुलिसकर्मी ही शराब के नशे में ड्यूटी करते पाए जाएं, तो व्यवस्था पर लोगों का विश्वास डगमगाना स्वाभाविक है। यह घटना न सिर्फ पुलिस प्रशासन के लिए शर्मिंदगी का विषय है, बल्कि पूरे राज्य में शराबबंदी कानून की विफलता को भी उजागर करती है।
शराबबंदी कानून की हकीकत
गौरतलब है कि बिहार में शराबबंदी 5 अप्रैल 2016 को लागू की गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय सामाजिक सुधार, महिलाओं की सुरक्षा, घरेलू हिंसा में कमी और स्वास्थ्य लाभ जैसे उद्देश्यों से प्रेरित था। लेकिन समय-समय पर सरकारी अधिकारियों, पुलिसकर्मियों और आम नागरिकों द्वारा शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाना यह दिखाता है कि इस कानून को लागू करने में प्रशासन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है।
जनता में आक्रोश
इस पूरी घटना ने आम जनता को नाराज कर दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब पुलिसकर्मी ही शराब पीने में लिप्त होंगे, तब आम लोग कानून का पालन कैसे करेंगे? खासकर उस समय जब छपरा जैसे शहर में हत्या जैसी जघन्य घटनाएं बढ़ रही हों, तब इस तरह की लापरवाही पुलिस प्रशासन की साख को मिट्टी में मिला रही है।
निष्कर्ष
यह घटना सिर्फ एक शराब पार्टी की नहीं है, बल्कि यह सिस्टम की विफलता और कर्तव्यहीनता की बड़ी मिसाल है। समय की मांग है कि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई हो, दोषियों को उदाहरण स्वरूप सजा मिले, ताकि आगे कोई पुलिसकर्मी ऐसी गलती करने से पहले सौ बार सोचे। वहीं सरकार को भी शराबबंदी कानून के प्रभावी कार्यान्वयन की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि इस कानून का मकसद सिर्फ कागजों तक ही सीमित न रह जाए।
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