स्वास्थ्यस्वास्थ्य

नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के बाद माताओं और नवजात शिशुओं की विशेष देखभाल सुनिश्चित करने के लिए एक सराहनीय पहल की जा रही है। अब प्रसव के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज के समय प्रसूताओं को ‘जच्चा-बच्चा पोषण किट’ देकर घर भेजा जा रहा है। इस किट के माध्यम से माताओं को प्रसव के बाद आवश्यक पोषण तत्व उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि मां और नवजात दोनों स्वस्थ रह सकें।

स्वास्थ्य
स्वास्थ्य

इस पहल की जानकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोपालपुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधांशु कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि यह योजना स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य प्रसव के बाद महिलाओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराकर उनकी और नवजात की सेहत को सशक्त बनाना है। कुपोषण को रोकने और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में यह एक उपयोगी कदम माना जा रहा है।

डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि जच्चा-बच्चा पोषण किट में प्रसूताओं के लिए विशेष रूप से तैयार पौष्टिक आहार शामिल किया गया है। इसमें नमकीन दलिया, दूध, पौष्टिक बर्फी, रेडीमेड खीर के लिए चावल, तथा आवश्यक विटामिन की गोलियां दी जाती हैं। किट की सामग्री को इस तरह से चयनित किया गया है कि यह प्रसव के बाद महिलाओं को ऊर्जा, आयरन, कैल्शियम और आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सके।

इस व्यवस्था के तहत प्रसूताओं को अस्पताल से डिस्चार्ज करते समय यह किट दी जाती है। इसके साथ ही नवजात शिशु का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर उन्हें एंबुलेंस के माध्यम से सुरक्षित घर तक पहुंचाया जाता है। डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि इससे न केवल मां-बच्चे को बेहतर देखभाल मिल रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर देखा जाता है कि प्रसव के तुरंत बाद महिलाओं को पोषण संबंधी पर्याप्त जानकारी या साधन उपलब्ध नहीं हो पाते। इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने यह कदम उठाया है। यह पहल विशेष रूप से उन गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है जो आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं होते कि प्रसव के बाद पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर सकें।

इस योजना को लेकर स्थानीय लोगों और लाभार्थियों में भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कई महिलाओं ने बताया कि उन्हें इस किट से काफी राहत मिली है और वे अस्पताल की सेवा से संतुष्ट हैं। कुछ महिलाओं ने यह भी कहा कि पहले उन्हें घर लौटते ही रसोई के काम में लगना पड़ता था, लेकिन अब किट में मिलने वाले रेडीमेड खाद्य पदार्थों से शुरुआती दिन आसानी से बीत जाते हैं।

डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि गोपालपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन औसतन चार से पांच प्रसव होते हैं और सभी को यह सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा चिकित्सकीय जांच, टीकाकरण और परामर्श सेवाएं भी दी जा रही हैं ताकि मां और बच्चे की सेहत पर लगातार नजर रखी जा सके।

स्वास्थ्य विभाग की यह पहल एक सकारात्मक बदलाव की ओर संकेत देती है, जिससे मातृ मृत्यु दर और नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिल रहा है।

इस तरह की योजनाएं यदि लगातार और विस्तृत रूप में लागू की जाएं तो यह ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।

 

अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

भागलपुर में आत्मा योजना की समीक्षा बैठक सम्पन्न, उप विकास आयुक्त ने योजनाओं के क्रियान्वयन में गति लाने के दिए निर्देश

सहरसा में बड़ी साजिश नाकाम: कार्बाइन और कारतूस के साथ युवक गिरफ्तार, पुलिस की सतर्कता से टली बड़ी वारदात

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *