बिहार के सभी सिविल कोर्ट और अनुमंडल कोर्ट में गर्मी के समय में तीन माह चलने वाली प्रातकालीन न्यायिक कार्य व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। हाईकोर्ट ने इससे संबंधित नियम को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिहार सरकार ने भी इस बाबत गजट प्रकाशित किया है।
अंग्रेजों के समय से जिलों की सभी कोर्ट में गर्मी में तीन माह अप्रैल, मई और जून में प्रातकालीन न्यायिक कार्य व्यवस्था चली आ रही थी। इस व्यवस्था और नियम को रद्द करने के बाद बिहार के सभी सिविल कोर्ट व अनुमंडल कोर्ट में दिन में ही न्यायिक कार्य चलेगा।
हाईकोर्ट ने राज्य के सभी जिला न्यायाधीश को आदेश भेजा है। हाईकोर्ट के आदेश पर पटना जिले के न्यायाधीश राजीव रंजन ने 3 अप्रैल से चलने वाली जिला प्रातकालीन न्यायिक कार्य व्यवस्था के आदेश को रद्द कर दिया। इस आदेश से मुकदमों के पक्षकारों और अधिवक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। प्रातकालीन कोर्ट चलने से दूरदराज के पक्षकारों और अधिवक्ताओं को काफी परेशानी होती थी।
5 वर्ष से चल रहा था अभियान
प्रातकालीन न्यायिक व्यवस्था को समाप्त करने के लिए कानूनी सहायता केन्द्र के अध्यक्ष अधिवक्ता विक्रमादित्य गुप्त पिछले पांच वर्ष से अभियान चला रहे थे। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, पटना हाईकोर्ट, केन्द्र और राज्य सरकार के विधि विभाग को पत्र भेजा था।