लोक आस्था के महापर्व छठ का उत्साह खरना के साथ उत्कर्ष पर पहुंच गया। बिहार में घर-घर में छठ के गीत गूंज रहे हैं और शक्ति के प्रमुख स्त्रत्तेत भुवन भास्कर के प्रति श्रद्धा तथा भक्ति-भाव से पूजन-अर्चन की तैयारी में हर आम-औ-खास जुटे हैं।

जानकारी के मुताबिक, बिहार में तकरीबन 2.97 करोड़ परिवारों में से 80 लाख से अधिक परिवारों में छठ महापर्व मनाया जा रहा है। भागलपुर में सौ से अधिक घाटों पर अर्घ्य दिये जाएंगे।

आलम यह है कि एक-एक परिवार में चार-पांच तक व्रती हैं, जो जलाशयों में कर जोर समभाव से रविवार को अस्ताचलगामी तथा सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे। राज्य के तमाम नदी, नहर, झील, तालाब, पोखर, सरोवरों के अलावा घरों की छतों पर सूर्यदेव को अर्घ्य देने की तैयारी है।

शनिवार शाम खरना के साथ ही सभी छठव्रती नेम-निष्ठा के इस महापर्व की कठिन साधना में जुट गये।

परिवार की महत्ता के साथ सामाजिक सद्भाव, प्रकृति के प्रति निष्ठा का संदेश देते इस महापर्व में खेत-खलिहान, नदी-पोखर, पास-पड़ोस सभी की सहभागिता होगी।

सूबे के 4 हजार से अधिक छठ घाटों पर तैयारी पूरी

छठ महापर्व के सफल तथा निर्विघ्न आयोजन के लिए शासन-प्रशासन की पुख्ता तैयारी है। सभी छठ घाटों पर मजिस्ट्रेट की तैनाती की गयी है।

राज्यभर में 4000 से अधिक छठ घाट सरकार के नगर विकास विभाग द्वारा तैयार किये गये हैं, हालांकि इससे बड़ी तादाद समाज द्वारा तैयार किये गये हैं।

एक बार फिर इस महापर्व में सामूहिकता बोध उदाहरण के रूप में दिखने वाला है। छठ महापर्व में शामिल होने के लिए दूर देश व प्रदेशों से स्वजन भी अपने-अपने गांव आ चुके हैं।

जो परदेसी नहीं आ पाये, वे छठ पर्व के बिहार के इस अनमोल संस्कार को वहीं जीवंत बना रहे हैं।

सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे व्रती

चार दिवसीय छठ महापर्व शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ था। शनिवार की शाम को छठव्रतियों ने भगवान सूर्य की पूजा कर तथा उन्हें भोग अर्पित कर खरना का प्रसाद ग्रहण किया। इसके साथ ही सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने तक 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो गया। अर्घ्य समर्पित करने के बाद ही व्रती अब अन्न-जल ग्रहण करेंगे।

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