खबर बिहार के सहरसा जिले से है, जहां नवहट्टा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो जाने से इलाके में हड़कंप मच गया। घटना से आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मुख्य सड़क को जाम कर दिया और जमकर हंगामा किया। सड़क जाम की वजह से घंटों आवागमन बाधित रहा, जिससे राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
मृतक महिला की पहचान मुरादपुर गांव निवासी ज्योति कुमारी के रूप में हुई है। परिजनों के अनुसार, ज्योति कुमारी को बीती रात प्रसव पीड़ा होने पर नवहट्टा सीएचसी में भर्ती कराया गया था। परिजनों का आरोप है कि पूरी रात उचित इलाज नहीं किया गया और सुबह अचानक डॉक्टरों ने मरीज को रेफर कर दिया। कुछ ही देर बाद जच्चा-बच्चा की मौत की सूचना दी गई, जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
मृतका के परिजन कौशल कुमार ठाकुर ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों की लापरवाही के कारण उनकी पत्नी और नवजात बच्चे की जान गई है। उनका कहना है कि मौत के बाद अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए आनन-फानन में रेफर का कागज तैयार किया गया। परिजनों ने दोषी डॉक्टरों और कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
वहीं इस पूरे मामले पर अस्पताल प्रशासन की ओर से सफाई भी दी गई है। डॉक्टर मनीष भारती और एएनएम सुनीता कुमारी ने बताया कि मरीज को सुबह करीब चार बजे गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। स्वास्थ्य केंद्र में जरूरी संसाधन और विशेषज्ञ सुविधाएं सीमित होने के कारण मरीज को दोपहर करीब 12 बजे सदर अस्पताल सहरसा रेफर किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि एंबुलेंस उपलब्ध थी, लेकिन मरीज के पुरुष परिजन मौके पर मौजूद नहीं थे, जिससे रेफर करने में देरी हुई। उनका दावा है कि यदि समय पर सदर अस्पताल पहुंचा दिया जाता, तो शायद जच्चा-बच्चा की जान बचाई जा सकती थी।
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को समझा-बुझाकर सड़क जाम समाप्त कराया। फिलहाल क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है। प्रशासन ने पूरे मामले की जांच का आश्वासन दिया है और कहा है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
