आज हम बात करेंगे एक ऐसे त्योहार की, जिसका लोगों के जीवन में विशेष महत्व है— मकर संक्रांति। इस पावन पर्व के आगमन के साथ ही बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। लेकिन इस बार भागलपुर के बाजारों में एक खास बदलाव देखने को मिला है। मकर संक्रांति के चलते दूध और उससे बने उत्पादों की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है।

भागलपुर में अभी तक दूध जहां 60 रुपए प्रति किलो बिक रहा था, वही अब इसकी कीमत 90 रुपए प्रति किलो हो गई है। स्थानीय व्यापारियों और ग्राहकों का कहना है कि मकर संक्रांति के मौके पर दूध की मांग में भारी बढ़ोतरी होती है, क्योंकि इस दिन दही, चूड़ा, तिलकुट, और गुड़ जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थों का विशेष महत्व है।

दूध की कीमतों में वृद्धि का कारण

दूध व्यापारियों का कहना है कि दूध की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

  1. पशुधन की कमी:
    व्यापारियों के मुताबिक, दूध देने वाले जानवरों की संख्या में कमी आई है, जिससे दूध की आपूर्ति घट गई है।
  2. बढ़ती मांग:
    जनसंख्या में वृद्धि और त्योहार के दौरान बढ़ी हुई मांग के चलते दूध और दही के दाम आसमान छू रहे हैं।
  3. त्योहारी तैयारी:
    मकर संक्रांति से पहले ही लोग दही जमाने के लिए बड़ी मात्रा में दूध खरीद रहे हैं, जिससे बाजार में दूध की कमी महसूस की जा रही है।

दही की मांग और भविष्यवाणी

मकर संक्रांति पर दही का विशेष महत्व है। भागलपुर के लोग बड़ी मात्रा में दही का सेवन करते हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए व्यापारियों का कहना है कि दूध की कीमत 100 रुपए प्रति किलो से भी अधिक हो सकती है।

स्थानीय उपभोक्ताओं में से एक, सुमन देवी, ने कहा, “हर साल मकर संक्रांति के समय कीमतों में कुछ बढ़ोतरी होती है, लेकिन इस बार वृद्धि काफी ज्यादा है।”
वहीं, एक अन्य ग्राहक, राजेश कुमार, ने बताया कि उन्हें दही जमाने के लिए पहले से ही दूध खरीदना पड़ा, क्योंकि त्योहार के दिन दूध की कीमत और अधिक बढ़ने की संभावना है।

दूध व्यापारियों की राय

दूध व्यापारी मनोज यादव ने बताया,
“दूध और दही की डिमांड त्योहारों के समय बढ़ जाती है। इस बार जानवरों की संख्या कम होने और महंगे चारे के कारण दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसी वजह से कीमतों में उछाल देखा जा रहा है।”

मकर संक्रांति पर दूध से बनी वस्तुओं की परंपरा

मकर संक्रांति के दिन चूड़ा-दही और तिलकुट खाने की परंपरा है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है, जो शीत ऋतु के अंत और वसंत के आगमन का सूचक है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेने का विशेष महत्व होता है।

ग्राहकों पर बढ़ती कीमतों का असर

कीमतों में वृद्धि ने मध्यमवर्गीय परिवारों की बजट योजना को प्रभावित किया है।
रिंकू शर्मा, जो एक गृहिणी हैं, कहती हैं,
“हमारे परिवार में मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा का बहुत महत्व है, लेकिन इस बार महंगाई ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है।”

सरकार और प्रशासन से उम्मीद

ग्राहकों का मानना है कि सरकार को दूध और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि आम जनता को राहत मिल सके।

अंतिम विचार
मकर संक्रांति का यह पर्व खुशियों और समृद्धि का प्रतीक है, लेकिन बढ़ती कीमतों ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। उम्मीद है कि प्रशासन इस मुद्दे को संज्ञान में लेगा और लोगों को राहत देने के लिए उचित कदम उठाएगा।

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