ठंड की शुरुआत होते ही भागलपुर के नवगछिया का जगत पुल झील प्रवासी पक्षियों से गुलजार हो जाता है। यहां पर कई प्रजातियाें की पक्षियां पहुंचते हैं। झील में रूस, मंगोलिया, सेंट्रल एशियन सहित कई अन्य देशों से यहां पक्षी पहुंचते हैं। यहां पर 300 से अधिक प्रजातियों की पक्षी पहुंचते हैं। सभी पक्षियां हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर भागलपुर पहुंचते हैं

4 माह तक रहते हैं पक्षियां

झील में नॉर्दर्न सोभलर, गडवाल डक, कॉमन पोचार्ड, कॉमन डक, कॉमन टिल, पिनटेल डक , लालसर सहित कई विदेशी पक्षियाँ पहुंचे हैं। नवंबर में ये सभी पक्षियाँ यहाँ पहुंचते हैं जो मार्च तक झील में रहते हैं। इस झील का वातावरण इन पक्षियों के लिए अनुकूल है । पक्षियों के आते ही स्थानीय लोग और पर्यावरणविद अपने कैमरे में तस्वीर कैद करते हैं। पड़ोसी जिले से भी लोग इस झील को देखने पहुंचते। इसमें पूर्णिया, बांका, मुंगेर सहित अन्य जिलों से लोग पहुंचते हैं ।

चार से पांच देशों से पहुंचते हैं पक्षी

पर्यवारणविद राहुल मुकेश ने बताया कि हर वर्ष यहाँ विदेशी पक्षी आते हैं। इस वर्ष हर वर्ष की भांति पक्षियों की संख्या कम देखने को मिल रही है । उन्होंने बताया कि ठंड की शुरुआत हुई है अभी और प्रवासी पक्षियों का झुंड यहाँ आएंगे। यहां चार से पांच देशों से पक्षियां आते हैं। ठंड के मौसम तक यहां रुकते हैं।

भागलपुर के वन्य जीव संरक्षक अरविंद मिश्रा ऐसे पक्षियों पर रिसर्च करते है। अरविंद मिश्रा ने बताया कि शीतकाल में जब इन पक्षियों का मूल प्रवास बर्फ से पूरी तरह ढक जाता है। बर्फीले तूफान चलते हैं तो वहां इनका जिंदा रहना मुश्किल हो जाता है। भोजन, आवास, सुरक्षा कुछ नहीं मिल पाता है तब ये सभी पक्षियां सेंट्रल एशियन फ्लाइवेज, ईस्ट ऑस्ट्रेलिया फ्लाइवेज, वेस्ट अफ्रीका फ्लाइवेज से यहां आते है ।

वन विभाग भी हो जाता है चौकस

प्रवासी पक्षियों के जगतपुर झील पहुंचते ही वन विभाग चौकस हो जाते हैं । अधिकारी लगातार झील जाकर निरीक्षण भी करते हैं । ताकि स्थानीय लोग या शिकारी किसी भी तरह का नुकसान इन्हें नहीं पहुंचाए। जिला वन्य पदाधिकारी भरत चिन्तापल्ली ने अधिकारियों के साथ झील का जायजा भी लिया साथ ही इनकी सुरक्षा को लेकर दिशा निर्देश भी दिए हैं ।

डीएफओ ने बताया कि ये पक्षी जिस फ्लाइवेज से आते हैं उस फ्लाइवेज मे हवा के बहाव पक्षियों के अनुकुल होता है। पर्यावरणविद राहुल कुमार ने बताया कि झील को संवारा जाए तो और बेहतर होगा । जल कुंभी से पक्षियों को ज्यादा परेशानियां होती है। प्राइवेट लैंड है तो अभी उस पर काम नहीं हो रहा है ।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *