गंगा

गंगा नदी के कटाव से त्रस्त मासाडू, साहेबगंज, हरिदासपुर जैसे गांवों के सैकड़ों परिवार पिछले कई वर्षों से मुआवजा और पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। प्रशासनिक आश्वासन मिलने के बावजूद इन परिवारों को अब तक स्थायी समाधान नहीं मिल पाया है। इन पीड़ितों की आवाज को बुलंद करने के लिए गोपालपुर विधायक गोपाल मंडल के पुत्र आशीष मंडल ने अपने जीवन को दांव पर लगाते हुए बीते पांच दिनों से आमरण अनशन शुरू किया था, जिसे उन्होंने जितिया अनशन नाम दिया। यह नाम उन माताओं की पीढ़ियों से चली आ रही सुरक्षा की भावना और कटाव प्रभावित परिवारों की पीड़ा को दर्शाता है।

गंगा

रविवार को अनशन के पांचवें दिन आशीष मंडल की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया। तत्काल उन्हें एंबुलेंस के माध्यम से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मायागंज में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की एक विशेष टीम उनके स्वास्थ्य की निगरानी में लगातार जुटी हुई है। आशीष मंडल ने पूरी निष्ठा और आत्मबल के साथ अनशन जारी रखा था, जिससे यह आंदोलन गंगा कटाव से त्रस्त परिवारों की उम्मीद की किरण बनकर उभरा है।

गंगा कटाव से बार-बार विस्थापित हो रहे परिवारों ने कहा कि उनका जीवन लगातार अस्थिरता और संघर्ष में गुजर रहा है। खेत, घर और आजीविका सबकुछ बह जाने के बाद भी प्रशासन से केवल आश्वासन ही मिलते हैं, ठोस कार्रवाई नहीं होती। आशीष मंडल का यह अनशन उन परिवारों के लिए न्याय और हक की लड़ाई में एक निर्णायक कदम साबित हो रहा है। उनके अनशन के समर्थन में स्थानीय ग्रामीण, सामाजिक संगठन और युवा बड़ी संख्या में एकजुट हो गए हैं। लोगों का कहना है कि जब तक उचित मुआवजा और पुनर्वास की ठोस योजना नहीं बनती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

आशीष की तबीयत बिगड़ते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और त्वरित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई। जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से संकेत दिए गए हैं कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर संवेदनशीलता से विचार कर रहा है और समाधान की दिशा में पहल की जाएगी। आशीष मंडल का यह संघर्ष साबित करता है कि जब प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोग बार-बार अनदेखी का शिकार होते हैं, तो एक युवा नेतृत्व उनके हक की आवाज बनकर खड़ा होता है।

यह आंदोलन अब प्रशासन की गंभीरता की परीक्षा भी है कि वह इन कटाव पीड़ित परिवारों की वर्षों पुरानी मांगों को कैसे हल करता है। आशीष मंडल ने अपने अनशन के माध्यम से यह साबित कर दिया कि एक युवा का संकल्प, पीड़ितों की सामूहिक पीड़ा को न्याय में बदल सकता है। स्थानीय लोगों ने आशीष की पहल को आवाज विहीनों की आवाज बताया और प्रशासन से अपील की कि अब और देरी न हो। गंगा कटाव पीड़ितों के पुनर्वास और मुआवजा की दिशा में ठोस कदम उठाकर ही प्रशासन लोगों का विश्वास जीत सकता है।

अब उम्मीद है कि आशीष मंडल का यह अनशन कटाव प्रभावित लोगों की जिंदगी में न्याय और स्थिरता की नई शुरुआत का कारण बनेगा।

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