भागलपूर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय परिसर में आज अंबेडकर विचार मंच एवं बहुजन समाज पार्टी के तहत आजादी का बिगुल फूंक कर आगे बढ़ने वाला सबसे पहला लड़ाका तिलकामांझी उर्फ जबरा पहाड़िया का शहादत दिवस मनाया गया। बताते चलें कि जमीदारी प्रथा को खत्म करने को लेकर पहला आवाज उठाने वाला भी तिलकामांझी ही था।
आज तिलकामांझी के शहादत दिवस पर तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक भवन में अंबेडकर विचार मंच एवं बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनके मूर्ति पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
भागलपुर में तिलकामांझी से जुड़ी कई स्मृतियां हैं, उन्हीं के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम भी पड़ा, तिलकामांझी ने भागलपुर के तत्कालीन ब्रिटिश कलेक्टर को अपने तीर का निशाना बनाया था जिससे आक्रोशित अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें सरेआम क्रूरता पूर्वक राजमहल के जंगल से पकड़ कर घोड़े से बांध कर घसीटते हुए वर्तमान में तिलकामांझी चौक भागलपुर मे आज ही के दिन उसे 13 जनवरी 1785 ई.को पेड़ से लटका कर फांसी दे दी थी।
आज के सहादत दिवस कार्यक्रम में अंबेडकर विचार विभाग के एचओडी विलक्षण रविदास ने कहा कि शहीद तिलकामांझी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हमसभी मिलकर गलत के प्रति आवाज उठाएं, जाती पाती, भेदभाव से उठकर मिलजुल कर भाई चारे के साथ रहे, मिलजुल कर कार्य करें तभी शहीद तिलकामांझी को श्रद्धांजलि होगी।

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