बिहार के पूर्व सीएम और हम के संरक्षक जीतन राम मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी कानून पर अपनी बातें रखी हैं। उन्होंने कहा है कि शराबबंदी खराब नहीं है लेकिन इसे लागू करने का तरीका गलत है। इसलिए इसकी समीक्षा होनी चाहिए।
बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग कर दी है। उन्होंने कहा है कि शराबबंदी कानून सही है लेकिन इसे लागू करने का तरीका गलत है। शराब के मामले में जेल जाने वाले 70 प्रतिशत लेाग गरीब हैं। माफिया नहीं पकड़े जा रहे। इसलिए जरूरी है कि इस कानून की समीक्षा हो। आधा लीटर-सवा सौ ग्राम पीने वालों को जेल नहीं भेजा जाना चाहिए
शराबबंदी ठीक लेकिन लागू करने का तरीका गलत
दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए मांझी ने कहा कि शराबबंदी बुरी चीज नहीं है। यह बहुत अच्छा कदम है। इसे हर जगह लागू करना चाहिए। लेकिन इसे लागू करने में खामियां हैं। शराब माफिया और तस्कर मालामाल हो रहे हैं। पकड़े जा रहे हैं गरीब लोग। चाहे वह बिहार हो या राजस्थान, बड़े लेाग नहीं पकड़े जा रहे हैं। जेलों में शराबबंदी मामले में बंद लोगों का हिसाब देखा जाए तो 70 प्रतिशत लाेग वैसे हैं जिन्होंने आधा लीटर और सवा सौ ग्राम शराब पी। उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया जाता है। वैसे तो कानून बना हुआ है लेकिन पकड़नेवाले बदमाशी करते हैं। ब्रेथ एनालाइजर मशीन में आधा लीटर पीने वाले को दो लीटर पीने वाला बता दिया जाता है। और उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। यह अन्याय है। ऐसे लोगों को नहीं पकड़ा जाना चाहिए।
दो घंटे में बनने वाली शराब है खराब
मांझी ने यह भी कहा है कि आज दो घंटे में शराब तैयार हो जाता है। उसमें जहरीला पदार्थ यूरिया आदि डाल दिया जाता है। वह जानलेवा होता है। लेकिन जो एक सप्ताह में महुआ के फूल आदि से बनाया जाता है वह खराब नहीं होता। वैसे लोग शराब नहीं पीयें, लेकिन अगर कोई सवा सौ ग्राम या आधा लीटर पीता है तो उसे नहीं पकड़ना चाहिए।