आम का आकार साल दर साल छोटा होता जा रहा है। इसकी मुख्य वजह है बारिश कम होना। दो दशक पहले तक हर सीजन में झकासा, सताहा या झपसी होती थी।

यानी, पांच से सात दिनों तक लगातार बारिश होती रहती थी। अब ऐसा नहीं होता। यही कारण है कि हर प्रभेद के आम का आकार छोटा होता जा रहा है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के उद्यान विभाग के चेयरमैन डॉ. फिजा अहमद कहते हैं कि आम के आकार में छह से सात फीसदी तक कमी आई है। कुछ प्रभेद इससे भी ज्यादा छोटे हुए हैं।

आम की लंबाई और चौड़ाई घट रही है, जाहिर है वजन घट रहा है। लंबाई ज्यादा घटने की वजह से आम अब गोलाकार होने लगा है। डॉ. अहमद आम के आकार में कमी के दो प्रमुख कारण मानते हैं।

पहला कम बारिश और दूसरा बाग प्रबंधन में खामी। कहते हैं, कम बारशि से जलस्तर घट रहा है। पेड़ों को पानी आसानी से नहीं मिलता है, जिसका असर आम के आकार पर भी पड़ता है।

दूसरी बात, बगीचे काफी पुराने हो गये हैं। पेड़ों की उम्र काफी हो जाने से असर पड़ा है। पेड़ों के अच्छे प्रबंधन की आवश्यकता है।

इस बार अप्रैल में ही 44 डिग्री हो गया था तापमान

मैंगो मैन के नाम से ख्यात सुल्तानगंज के किसान अशोक चौधरी ने कहा कि 15-20 साल पहले बारिश काफी होती थी और तापमान भी बहुत नहीं होता था।

अब झकासा सपना हो गया है। इस बार तो आकर कुछ ज्यादा घटा है। कारण है कि इस बार अप्रैल में तापमान 44 डिग्री तक चला गया था। आर्द्रता कम हो गई थी, जिसके कारण आम में रस भी नहीं भर पाया और उसका आकार भी नहीं बढ़ पाया।

रंगरा के किसान वेद व्यास चौधरी ने कहा कि बगीचा में अब पटवन की जरूरत होती है। पटवन हर जगह नहीं होती है। होती भी है तो उतना नहीं, जितनी जरूरत है। इससे भी आम के आकार में कमी आई है।

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