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पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली प्रखंड की रहने वाली ममता देवी की घर वापसी की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। करीब 11 महीने पहले ममता देवी अपनी दो बेटियों के साथ मायके लुधियाना जा रही थीं, लेकिन ट्रेन बदलने की गलती ने उनकी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया। वह लुधियाना की बजाय मुंबई पहुंच गईं और वहीं अपनी दोनों बेटियों से भी बिछड़ गईं। परिवार ने उन्हें खोजने की हर संभव कोशिश की, लेकिन उम्मीदें टूटने लगी थीं। फिर एक दिन खबर आई कि ममता देवी और दोनों बच्चियां मिल गई हैं। अब तीनों सुरक्षित अपने गांव लौट आई हैं।

ट्रेन की चूक से मुंबई पहुंची ममता
सुगौली थाना क्षेत्र के मलाही टोला की निवासी ममता देवी लुधियाना के शेरपुरा स्थित अपने मायके जाने के लिए निकली थीं। सुगौली स्टेशन पर लुधियाना जाने वाली जननायक एक्सप्रेस की जगह उन्होंने गलती से मुंबई जाने वाली अवध एक्सप्रेस पकड़ ली। जब तक गलती का एहसास होता, वह सैकड़ों किलोमीटर दूर मुंबई पहुंच चुकी थीं। मानसिक रूप से कमजोर ममता मुंबई की भीड़भाड़ में खुद को संभाल नहीं सकीं और अपनी दोनों बेटियों से भी बिछड़ गईं।

मानवता ने दिखाई राह
मुंबई की एक पुनर्वास संस्था के कर्मचारियों की नजर ममता पर पड़ी। उनकी हालत को देखते हुए उन्हें मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया। इस बीच उनकी छोटी बेटी संतोषी (1 वर्ष) को नांदेड़ के सावित्रीबाई फुले शिशु ग्रह आश्रम में और बड़ी बेटी शीतल (5 वर्ष) को नांदेड़ बाल कल्याण समिति में रखा गया।

संस्था ने परिवार को मिलाया
कुछ महीनों के इलाज के बाद ममता देवी की मानसिक स्थिति में सुधार हुआ और उन्होंने अपने परिवार के बारे में जानकारी दी। इस जानकारी के आधार पर संस्था ने उनके पति बृजम महतो से संपर्क साधा। संस्था के प्रयास से बृजम महतो मुंबई पहुंचे, जहां औपचारिक कागजात पूरे करने के बाद ममता और दोनों बेटियों को घर लाया गया। 30 जून 2025 को तीनों सकुशल अपने गांव लौट आए।

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परिवार और गांव में खुशी की लहर
घर लौटने पर ममता देवी और उनकी बच्चियों को देख परिवार और गांव वालों की आंखें नम हो गईं। बृजम महतो ने संस्था का आभार जताते हुए कहा कि “सारा खर्च संस्था ने उठाया, हमसे एक पैसा भी नहीं लिया। बच्चों की बहुत अच्छी देखभाल की गई।”

ममता देवी का बयान
“घर से मायके के लिए निकले थे। ट्रेन की गलती से मुंबई पहुंच गए। अब घर आ गए हैं, अच्छा लग रहा है,” — ममता देवी की ये बात उनकी संघर्ष और लौटने की खुशी दोनों बयां करती है।

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