मधेपुरा। बिहार में शराबबंदी लागू हुए नौ वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन हकीकत यह है कि ज़मीनी स्तर पर न सिर्फ शराब आसानी से उपलब्ध है, बल्कि इसे लागू कराने की जिम्मेदारी संभालने वाले ही नियमों का मखौल उड़ाते दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक ताज़ा मामला मधेपुरा जिले के शंकरपुर थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां पुलिस विभाग की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।

 

वीडियो में शंकरपुर थाना में तैनात जमादार (ASI) उत्तम कुमार मंडल एक पीड़ित से घूस लेते दिखाई देते हैं। यही नहीं, वह वर्दी में बैठकर खुलेआम शराब और मटन का आनंद ले रहे हैं। वीडियो में उत्तम मंडल पुलिस मुख्यालय तक का “रेट” बढ़ जाने की बात कहते हुए साफ सुने जा सकते हैं। उनका दावा है कि अब 2,000–5,000 रुपये नहीं, बल्कि सीधे 20,000–25,000 रुपये लेकर काम किया जाता है और वह “पूरी पारदर्शिता के साथ काम करने” का दावा करते हैं। यह बयान न सिर्फ कानून-व्यवस्था की पोल खोलता है, बल्कि इस बात की भी पुष्टि करता है कि बिना घूस के FIR तक दर्ज नहीं होती।

 

पूरा मामला वर्ष 2024 से जुड़ा है। आरोप है कि उस समय के थाना अध्यक्ष रोशन कुमार ने अन्य थानों की पुलिस टीम के साथ मिलकर राहुल कुमार के घर छापेमारी की थी। छापेमारी में राहुल के किराना दुकान के अधिकांश सामान को जब्त कर उसे चोरी का बताया गया, जबकि राहुल को अपराधियों के गिरोह का सदस्य करार देते हुए एकतरफा FIR दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया। राहुल का आरोप है कि छापेमारी के दौरान जो नकद राशि जब्त की गई थी, उसे पुलिस ने जप्ती सूची में दर्ज ही नहीं किया और अब तक वापस नहीं किया है।

 

राहुल के मुताबिक, जब उसने जेल से आने के बाद अपने पैसे की मांग की तो पुलिस ने कहा कि जब सामान छोड़ा जाएगा तब पैसा भी मिल जाएगा, जबकि आज तक न तो सामान छोड़ा गया और न ही कोई ठोस सबूत पेश किया गया कि वस्तुएं चोरी की थीं। हाल ही में न्यायालय के आदेश पर सामान का परेड करवाया गया, लेकिन उसमें भी पुलिस द्वारा एक अनजान व्यक्ति को मालिक बनाकर खड़ा कर दिया गया। बाद में उस व्यक्ति ने शपथ पत्र देकर कहा कि उसका उस सामान से कोई लेना-देना नहीं है और पुलिस ने जबरन उसे गवाह बनाया।

 

पीड़ित राहुल कुमार का आरोप है कि केस के जांच अधिकारी उत्तम कुमार मंडल लगातार उसका शोषण करते रहे और शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। राहुल को यह धमकी तक दी गई कि यदि वीडियो बाहर गया तो उसे जान से मार दिया जाएगा।

 

वहीं आरोपी जमादार उत्तम मंडल ने मामले में कहा कि वह कानून के तहत कार्रवाई कर रहे हैं और शराब या घूस लेने की बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। पीड़ित ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की है।

 

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