भागलपुर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से रोजगार से जुड़ा एक गंभीर और चिंताजनक मामला सामने आया है, जहां दो निजी कंपनियों के बीच हुए बदलाव का सीधा असर 61 दैनिक वेतनभोगी कर्मियों पर पड़ा है। ये सभी कर्मी पिछले तीन महीनों से निजी एजेंसी अंतरा कंपनी के माध्यम से अस्पताल में डाटा ऑपरेटर, ड्रेसर और ट्रॉली मैन के पद पर कार्यरत थे और अस्पताल की रोजमर्रा की व्यवस्थाओं को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।
कुछ दिनों पहले अस्पताल प्रशासन ने कार्य व्यवस्था में बदलाव करते हुए अंतरा कंपनी से काम वापस लेकर अंग विकास परिषद नामक एक अन्य निजी कंपनी को यह जिम्मेदारी सौंप दी। कंपनी बदलते ही नई एजेंसी ने बिना किसी पूर्व सूचना के इन सभी 61 कर्मियों को काम से हटा दिया। अचानक नौकरी जाने से एक साथ 61 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
प्रभावित कर्मियों का आरोप है कि जब उन्होंने पहले इस बदलाव को लेकर विरोध जताया था, तब अस्पताल प्रशासन की ओर से उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि केवल कंपनी बदली जा रही है, कर्मी नहीं। कहा गया था कि सभी कर्मचारी नई एजेंसी के साथ पहले की तरह काम करते रहेंगे। लेकिन अंग विकास परिषद ने इस आश्वासन को नजरअंदाज करते हुए सभी कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
नौकरी से निकाले जाने के बाद आज सभी प्रभावित कर्मी मायागंज अस्पताल के अधीक्षक कार्यालय पहुंचे और प्रदर्शन करते हुए अपनी समस्या रखी। इस दौरान कर्मियों ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि वे दिहाड़ी पर काम कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे और अचानक रोजगार छिन जाने से उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
वहीं इस मामले पर अस्पताल अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि ये सभी कर्मी अस्पताल के स्थायी कर्मचारी नहीं थे, बल्कि निजी एजेंसी के माध्यम से कार्यरत थे। ऐसे में आगे का निर्णय संबंधित एजेंसी द्वारा ही लिया जाएगा।
अब सवाल यह है कि अस्पताल की व्यवस्था भले ही किसी तरह चल जाए, लेकिन जिन 61 कर्मियों के सहारे उनके परिवारों की जिंदगी चल रही थी, उनका भविष्य क्या होगा—यह सबसे बड़ा और गंभीर सवाल बना हुआ है।
