पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में शराब तस्करी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कटिहार जिले में एक महिला बुर्का पहनकर शराब की तस्करी कर रही थी, लेकिन उत्पाद विभाग की सतर्कता के चलते वह पकड़ी गई। यह घटना ना सिर्फ हैरान करने वाली है, बल्कि शराबबंदी कानून की गंभीरता पर भी सवाल खड़े करती है।
कटिहार के मनिया स्टेशन पर पश्चिम बंगाल के कुमेदपुर से आने वाली एक महिला को उत्पाद विभाग ने धर दबोचा। महिला ने अपने शरीर पर साड़ी के नीचे शराब के टेट्रा पैक टेप से चिपकाए हुए थे और ऊपर बुर्का पहन रखा था ताकि कोई शक न करे। सूचना मिलने पर उत्पाद विभाग की महिला कांस्टेबल ने जब उसे बुर्का उतारने को कहा, तो वह घबरा गई। जब जांच की गई तो कुल 9 लीटर अंग्रेजी शराब बरामद हुई।
महिला की पहचान संध्या देवी के रूप में हुई है, जो माझेली गांव की रहने वाली है। पूछताछ में उसने बताया कि वह शराब पश्चिम बंगाल से बिहार में बेचने के लिए ला रही थी। उसे उम्मीद थी कि बुर्के की आड़ में वह किसी की नजर में नहीं आएगी, लेकिन उत्पाद विभाग की सतर्कता ने उसकी चालाकी को नाकाम कर दिया।
यह घटना बताती है कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद तस्करी के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। पहले शराब तेल के टैंकरों, गाड़ियों और सब्जी की बोरियों में छिपाकर लाई जाती थी, लेकिन अब तस्कर महिलाएं और बुर्का जैसे धार्मिक प्रतीकों का भी गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। यह समाज के लिए चिंताजनक है और प्रशासन के लिए एक चुनौती भी।
सरकार द्वारा लागू पूर्ण शराबबंदी कानून का मकसद समाज को नशे से मुक्त करना था, लेकिन तस्करों की नीयत और लचर निगरानी व्यवस्था इस कानून को कमजोर बना रही है। शराबबंदी तभी सफल हो सकती है जब कानून का सख्ती से पालन हो और लोगों में इसके प्रति जागरूकता भी बढ़े।
कटिहार पुलिस की यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन इससे यह भी साफ होता है कि शराबबंदी कानून को प्रभावी बनाने के लिए निरंतर सतर्कता और कठोर कार्रवाई जरूरी है। अब देखना होगा कि सरकार इस तरह की घटनाओं से सबक लेकर अपनी रणनीति को और मजबूत करती है या नहीं।