नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड अंतर्गत भवानीपुर नयाटोला स्थित मध्य विद्यालय में एक गंभीर शैक्षणिक लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भवानीपुर निवासी संजय कुमार यादव ने आरोप लगाया है कि उनके बच्चों का नाम विद्यालय से जबरन काट दिया गया, जबकि वे अपने बच्चों को अपने ही गांव के सरकारी विद्यालय में पढ़ाना चाहते हैं।

संजय कुमार यादव का कहना है कि पहले यह विद्यालय पढ़ाई-लिखाई के मामले में संतोषजनक था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से यहां की शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार विद्यालय के प्राचार्य से निवेदन किया कि उनके बच्चों का नाम पुनः नामांकन में शामिल किया जाए, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इस उपेक्षा और अनदेखी से आहत होकर वे स्वयं विद्यालय पहुंचे और कक्षाओं का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान संजय कुमार ने जो देखा, वह बेहद चिंताजनक था। उन्होंने बताया कि कई शिक्षक कक्षा में मोबाइल चला रहे थे, कुछ आराम कर रहे थे और कोई भी बच्चों को पढ़ाने में रुचि नहीं दिखा रहा था। यह स्थिति देखकर वे अत्यंत क्षुब्ध हो उठे और उन्होंने कक्षा की तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर साझा कर दीं। इन तस्वीरों में शिक्षकों की लापरवाही स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

संजय कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा कि शिक्षक गांव की शैक्षणिक छवि को धूमिल करने और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा पहले ही यह निर्देश जारी किया जा चुका है कि कक्षा में मोबाइल का उपयोग पूर्णतः वर्जित है, फिर भी विद्यालय में खुलेआम इसका उल्लंघन हो रहा है।
इस पूरे मामले की शिकायत संजय कुमार यादव ने नवगछिया के अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) से की है और दोषी शिक्षकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि बच्चों का नाम फिर से नामांकन में जोड़ा जाए और विद्यालय में शैक्षणिक अनुशासन सुनिश्चित किया जाए।
यह मामला अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। स्थानीय लोग और अभिभावक विद्यालय की बदहाल स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर इस प्रकार की लापरवाही चलती रही, तो बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। कई अभिभावकों ने भी विद्यालय प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया है और शिक्षा विभाग से हस्तक्षेप की मांग की है।
लोगों ने अपील की है कि शिक्षा विभाग इस मामले की गहन जांच करे और दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करते हुए विद्यालय में अनुशासन और गुणवत्ता को बहाल करे। गांव के अभिभावकों का यह भी कहना है कि सरकारी विद्यालय ही गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों की उम्मीद है, इसलिए इसकी व्यवस्था को बेहतर बनाना अत्यंत आवश्यक है।
यह घटना न केवल एक परिवार की पीड़ा है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की लापरवाही का प्रतीक बन चुकी है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह लापरवाही पूरे समाज के भविष्य पर भारी पड़ सकती है।
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