सावन 2022 ( की शुरुआत 14 जुलाई से होनी है. इसके साथ ही विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेला भी शुरू हो जाएगा. सुल्तानगंज (बिहार) से उत्तरवाहिनी गंगा का जल भरकर कांवरियों का जत्था बाबानगरी देवघर (झारखंड) की ओर कूच करने लगा है. जहां वो द्वादश ज्योर्तिलिंगों में एक बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पण करेंगे. इस साल कांवरिया पथ पर गंगा का सफेद बालू बिछाया गया है. ताकि कांवरियों को यात्रा में सहूलियत रहे. लेकिन कड़कती धूप में ये बालू कांवरियों के यात्रा को पीड़ादायक बना रहा है.

सुल्तानगंज से शुरू होने वाले कच्ची कांवरिया पथ पर बिहार सरकार की ओर से इस बार गंगा की सफेद बालू बिछाई गयी है. कांवरियों को पैदल यात्रा में कोई तकलीफ नहीं हो और यात्रा सुगम बने इसलिए ये इंतजाम इस बार किये गये हैं. लेकिन वर्तमान में यह बालू कांवरियों के लिए मुसीबत व पीड़ा की वजह बन गयी है. सावन मास से ठीक पहले चलने वाले कांवरियों के लिए कांवर यात्रा एक अग्निपरीक्षा बन चुका है.

सावन शुरू होने से पहले ही श्रावण पूर्णिमा के दिन जल चढ़ाने के लिए हर बार बंगाल, असम, नेपाल आदि जगहों से कांवरिया सुल्तानगंज पहुंच जाते हैं. इस बार बंगला कैलेंडर से पूर्णिमा तिथि में उलटफेर के कारण कम तादाद में कांवरिया यात्रा करते दिख रहे हैं. लेकिन इन कांवरियों के लिए सुबह से ही निकली चिलचिलाती धूप और कांवरियों के लिए तैयार कच्ची पथ पर बिछाये सफेद बालू बेहद कष्टदायक साबित हो रहे हैं.

कांवरिया पथ पर सफेद बालू के ऊपर वाटर कैनन का उपयोग कर पथ पर पानी का छिड़काव होते रहना है. ऐसा निर्देश पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने दिया है जो कांवरिया पथ के निरीक्षण के लिए गुरुवार को पहुंचे थे. अपना बिहार झारखंड की टीम कांवरिया पथ पर पहुंची. पथ पर अभी पानी छिड़काव का कोई इंतजाम नहीं है.

पानी छिड़काव का इंतजाम नहीं होने के कारण सावन पूर्णिमा व उससे पहले जल चढ़ाने निकले कांवरियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पथ पर बिछाए बालू कड़कड़ाती धूप से आग की तरह तप रहे मिले. कांवरिया धूप निकलने के बाद इस पथ पर चलने से परहेज कर रहे हैं और मुख्य सड़क मार्ग का ही सहारा लेते दिखे.

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