बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस बार बड़ा राजनीतिक दांव खेलने की रणनीति बनाई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू इस बार “परफॉर्मेंस बेस्ड टिकट फॉर्मूला” पर काम कर रही है। यानी जिन विधायकों की छवि खराब रही है, जो अपने क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे या जिनके खिलाफ लगातार शिकायतें मिलती रहीं — उन्हें इस बार टिकट से वंचित किया जा सकता है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि केवल वही विधायक दोबारा मौका पाएंगे, जिनकी रिपोर्ट संगठन और जनता दोनों के स्तर पर सकारात्मक रही है।

सीएम नीतीश खुद कर रहे हैं समीक्षा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले पार्टी संगठन और मौजूदा विधायकों की गतिविधियों की बारीकी से समीक्षा शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने जिलास्तरीय और विधानसभा क्षेत्रीय स्तर पर फीडबैक मंगवाया है। इसमें यह देखा जा रहा है कि किस विधायक ने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों पर ध्यान दिया, जनता के बीच कितने सक्रिय रहे और स्थानीय स्तर पर उनकी छवि कैसी रही। इसी रिपोर्ट के आधार पर उम्मीदवारों के चयन का अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

कई सिटिंग विधायकों पर गिरेगी गाज

सूत्रों की मानें तो जेडीयू के कुछ सिटिंग विधायकों की टिकट इस बार कटने लगभग तय है। इनमें गोपालपुर से गोपाल मंडल, सुरसंड से दिलीप राय, सकरा से अशोक चौधरी, हिलसा से प्रेम मुखिया, हरनौत से हरी नारायण सिंह और कुशेश्वरस्थान से अमन भूषण हजारी जैसे नाम शामिल हैं। हरनौत से हरी नारायण सिंह का टिकट कटने की स्थिति में उनके बेटे को टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि पार्टी इन सीटों पर नए चेहरों को उतारकर एक नई छवि और ताजगी के साथ चुनावी मैदान में उतरना चाहती है।

एंटी-इनकंबेंसी को कम करने की कोशिश

जेडीयू का यह कदम राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार पार्टी इस बार एंटी-इनकंबेंसी यानी जनता के असंतोष को कम करने के लिए यह रणनीति अपना रही है। जिन विधायकों को लेकर जनता में नाराजगी रही है, उन्हें बदलकर पार्टी एक “फ्रेश टीम” के साथ मैदान में उतरना चाहती है। इससे न केवल संगठन को मजबूती मिलेगी बल्कि चुनावी माहौल में नई ऊर्जा का संचार होगा।

पहली सूची जल्द जारी होने की संभावना

पार्टी सूत्रों का कहना है कि जेडीयू की पहली उम्मीदवार सूची अगले कुछ दिनों में जारी की जा सकती है। इस सूची में कई नए चेहरों को मौका मिलने की पूरी संभावना है। वहीं, पुराने और मजबूत प्रदर्शन करने वाले विधायकों को फिर से उम्मीदवार बनाया जाएगा। यह सूची एनडीए के भीतर सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति के बाद सार्वजनिक की जाएगी।

जेडीयू की रणनीति का राजनीतिक संदेश

जेडीयू का यह “परफॉर्मेंस बेस्ड फॉर्मूला” न केवल संगठनात्मक अनुशासन को मजबूत करेगा बल्कि यह संदेश भी देगा कि पार्टी में केवल योग्यता और कार्य पर ही टिके रहना संभव है। इससे युवा और जमीनी स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं को आगे आने का मौका मिलेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम नीतीश कुमार की “साफ-सुथरी राजनीति” की छवि को और मजबूत करेगा और आगामी चुनाव में एनडीए की स्थिति को भी लाभ पहुंचा सकता है।

संक्षेप में, जेडीयू का यह निर्णय आने वाले बिहार चुनाव की दिशा और दशा तय करने वाला साबित हो सकता है। अब सबकी नजरें पार्टी की पहली सूची पर टिकी हैं, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि किसे टिकट मिलेगा और किसकी छुट्टी होगी।

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