बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में टिकट वितरण को लेकर जबरदस्त घमासान मचा हुआ है। भागलपुर से जेडीयू सांसद अजय मंडल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश कर दी है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर उपेक्षा और टिकट वितरण में मनमानी का गंभीर आरोप लगाया है।

अजय मंडल ने अपने पत्र में कहा कि स्थानीय सांसद होने के बावजूद विधानसभा टिकटों के चयन में उनकी किसी भी प्रकार की राय नहीं ली गई। उन्होंने लिखा कि “जब मेरे सुझाव को महत्व नहीं दिया जा रहा, तब सांसद पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।” उन्होंने यह भी शिकायत की कि उन्हें लगातार मुख्यमंत्री से मिलने से रोका जा रहा है और उनकी बातों को सुना नहीं जा रहा है।

सांसद ने पार्टी के अंदर चल रही नीतियों पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि जेडीयू में अब ऐसे लोगों को टिकट दिया जा रहा है जिन्होंने कभी संगठन के लिए काम नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिलाध्यक्ष और स्थानीय नेतृत्व की राय को अनदेखा किया जा रहा है। अजय मंडल के अनुसार, ऐसे फैसले पार्टी के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।

अजय मंडल ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि उनकी किसी व्यक्ति से कोई निजी नाराजगी नहीं है, बल्कि उनका उद्देश्य पार्टी और नीतीश कुमार के नेतृत्व को भविष्य में होने वाली हानि से बचाना है। उन्होंने कहा कि “बाहरी और निष्क्रिय लोगों को टिकट में प्राथमिकता देना जेडीयू की जमीनी ताकत को कमजोर करेगा।”

भागलपुर के सियासी गलियारों में अजय मंडल के इस कदम ने हलचल मचा दी है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब पार्टी के एक अन्य विधायक गोपाल मंडल भी टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर धरने पर बैठे हैं। लगातार दो नेताओं के असंतोष के बाद यह साफ हो गया है कि जेडीयू के अंदर विधानसभा टिकट वितरण को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है।

अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस स्थिति से कैसे निपटते हैं। क्या अजय मंडल को मनाने की कोशिश होगी या पार्टी उनके इस्तीफे को स्वीकार कर नए नेतृत्व को आगे बढ़ाएगी — यह आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति का बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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