बीते शनिवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। आज छठ का दूसरा दिन *खरना* है। इस दिन व्रती मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी से प्रसाद बनाते हैं — अरवा चावल, गुड़ की खीर, गेहूं की रोटी और केला। प्रसाद सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित करने के बाद व्रती स्वयं ग्रहण करते हैं, जिसके बाद वे अगले 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ करते हैं।
छठ पर्व में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसी समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। मौसम केंद्र रांची ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए झारखंड के सभी जिलों में 27 और 28 अक्टूबर को होने वाले सूर्यास्त और सूर्योदय का समय जारी किया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि भक्त सही मुहूर्त में अर्घ्य दे सकें और पूजा-पाठ में कोई बाधा न आए।
27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा, वहीं 28 अक्टूबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर पूजा का पारण किया जाएगा। कहा जाता है कि इस शुभ मुहूर्त में अर्घ्य देने से सूर्य देव और छठी मैया का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का वास होता है।
खरना का धार्मिक महत्व यह है कि इसी दिन से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। गुड़ की खीर, दूध और चावल से बने प्रसाद को छठी मैया को समर्पित करने से परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है। छठ पर्व न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मसंयम, पवित्रता और प्रकृति के प्रति आस्था का उत्सव भी है।
