भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के दसवें दिन शनिवार को फिर से इतिहास रच दिया।
देश के पहले सूर्य अभियान ‘आदित्य एल 1’ का श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया गया।
पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के एक्सएल वर्जन से आदित्य एल1 को सुबह 1150 बजे प्रक्षेपित किया गया। यह मिशन सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा।
इसरो ने बताया कि आदित्य एल 1 यान रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है।
सूर्य की ओर इसकी यात्रा शुरू हो गई है। आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है। यह अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु यानी एल1 के आसपास एक कक्षा में स्थापित होगा, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है।
यह यान वहीं से सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा।
‘आदित्य एल1’ विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययन के साथ ही इसकी तस्वीरें धरती पर भेजेगा।
मिशन के प्रमुख उद्देश्य
1. सूर्य के वायुमंडल और आने वाले भूकंप का अध्ययन करना
2 . सूरज के किनारों पर होने वाली गर्मी का पता लगाना
3 . सूरज के किनारों पर तूफानों की गति और तापमान का अध्ययन
4 . पृथ्वी पर सूर्य की किरणों से मौसम पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन
एल 1 ऐसे पहुंचेगा आदित्य
श्रीहरिकोटा से रवाना हुए अंतरिक्ष यान को वैज्ञानिक शुरू में पृथ्वी की निचली कक्षा में रखेंगे
बाद में इसकी कक्षा का आकार बढ़ाया जाएगा। अंतरिक्ष यान को फिर एल1 बिंदु की ओर भेजा जाएगा, ताकि यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकल सके
बाद में, इसे सूर्य के पास एल1 बिंदु के इर्द-गिर्द बड़ी कक्षा में भेजा जाएगा। आदित्य को प्रक्षेपण से लेकर एल1 बिंदु तक पहुंचने में चार माह लगेंगे ।