भागलपुर के अतिथि गृह सभागार में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा ने विपक्षी दलों और प्रमुख नेताओं पर तीखा हमला बोला। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना से लेकर शराबबंदी तक विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक राय दी। वर्मा का यह बयान राज्य की राजनीति में एक नई हलचल का कारण बन सकता है।

जातीय जनगणना पर मनीष वर्मा का रुख
मनीष वर्मा ने सबसे पहले जातीय जनगणना पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जातीय जनगणना समाज के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति के आधार पर होनी चाहिए। वर्मा ने यह भी कहा कि यह कदम विशेष रूप से पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने के लिए जरूरी है, ताकि समाज के कमजोर तबके को न्याय मिल सके। उन्होंने यह बयान देते हुए जातीय जनगणना को सशक्तीकरण की दिशा में अहम कदम बताया।

तेजस्वी यादव पर तंज़
वर्मा ने इस दौरान विपक्षी दलों के नेताओं पर भी टिप्पणी की। उन्होंने विशेष रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को निशाने पर लिया। मनीष वर्मा ने तेजस्वी को सलाह दी कि वे पहले अपने पिता और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य पर ध्यान दें, और फिर अन्य नेताओं के स्वास्थ्य पर बयान दें। यह बयान तेजस्वी के स्वास्थ्य को लेकर उठाए गए सवालों पर दिया गया था। वर्मा के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे तेजस्वी के खिलाफ राजनीतिक आक्रोश महसूस करते हैं।

प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह पर हमले
जदयू नेता मुकेश कुमार ने जन स्वराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर पर भी हमला बोला। उन्होंने किशोर की रैलियों को ‘कुर्सियों की रैली’ बताते हुए आरोप लगाया कि उनकी रैलियों में शामिल लोग पार्टी या विचारधारा से कोई संबंध नहीं रखते। इसके अलावा, मनीष वर्मा ने आरसीपी सिंह के बारे में कहा कि जब वे जदयू में थे, तो उन्हें पार्टी में कोई भ्रष्टाचार नहीं दिखता था, लेकिन अब जब वे पार्टी से बाहर हो गए हैं, तो अचानक उन्हें भ्रष्टाचार नजर आने लगा है। वर्मा ने इसे धोखे की राजनीति करार दिया।

शराबबंदी के प्रभाव पर मनीष वर्मा का बयान
वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शराबबंदी पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लागू की गई शराबबंदी ने बिहार के समाज में बड़े बदलाव लाए हैं। वर्मा ने यह स्वीकार किया कि जब शराबबंदी लागू की गई थी, तब बिहार की हर गली में शराब खुलेआम बिकती थी। अब, शराबबंदी के कारण महिलाओं को सुरक्षा मिली है, और वे पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि शराबबंदी के बाद राज्य में ड्रग्स का चलन बढ़ा है, जो एक नई चुनौती बनकर सामने आया है। मनीष वर्मा ने कहा कि अब बिहार को ड्रग्स के खतरे से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता पर जोर
मनीष वर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता का समर्थन किया और कहा कि उन्होंने बिहार को नशे से मुक्त करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब ड्रग्स की बढ़ती समस्या एक नई चुनौती है, जिसके समाधान के लिए राज्य सरकार को और सख्त कदम उठाने होंगे। वर्मा का कहना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू कर एक सामाजिक बदलाव की शुरुआत की, लेकिन अब इस नई चुनौती का सामना भी करना होगा।

निष्कर्ष
मनीष कुमार वर्मा की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस ने बिहार की राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। जातीय जनगणना, शराबबंदी, भ्रष्टाचार और विपक्षी दलों पर उनकी तीखी टिप्पणियों ने विपक्ष को कड़ी चुनौती दी है। साथ ही, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व की सराहना करते हुए राज्य में ड्रग्स के बढ़ते प्रभाव पर चिंता भी जताई। इस तरह की बेबाक बयानबाजी से यह साफ है कि जदयू आने वाले समय में राजनीतिक मोर्चे पर और भी आक्रामक रुख अपनाने वाला है।

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