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भागलपुर जिले के सुलतानगंज थाना क्षेत्र के महेशी गांव से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां प्रधानमंत्री को जान से मारने की धमकी देने वाले युवक की सच्चाई जानकर सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ पुलिस भी चौंक गई। इस पूरे मामले का खुलासा होते ही यह साफ हो गया कि धमकी देने का मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि आपसी पारिवारिक रंजिश था।

घटना के केंद्र में है समीर कुमार रंजन नामक युवक, जो अपने ही चाचा मंटू चौधरी को फंसाने के लिए इतना बड़ा कदम उठा बैठा। समीर ने प्रधानमंत्री को धमकी देने वाला संदेश भेजा, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि यह संदेश उसने अपने चाचा के मोबाइल नंबर से और VPN के जरिए भेजा, ताकि सुराग उसके चाचा तक ही पहुंचे।

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सुरक्षा एजेंसियों की नजर में जब यह धमकी भरा संदेश आया, तो देश की शीर्ष जांच एजेंसियां सक्रिय हो गईं। संदेश की गंभीरता को देखते हुए तुरंत लोकेशन ट्रेस की गई, जिससे पता चला कि यह संदेश बिहार के भागलपुर जिले के सुलतानगंज थाना क्षेत्र से भेजा गया है। इसके बाद जांच की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस को सौंपी गई।

जांच के तहत जब पुलिस महेशी गांव पहुंची, तो सबसे पहले मंटू चौधरी को हिरासत में लिया गया। चूंकि धमकी उनके मोबाइल नंबर से दी गई थी, ऐसे में शुरुआती शक उन्हीं पर गया। लेकिन जब पुलिस ने गहराई से पूछताछ शुरू की, तो यह सामने आया कि मंटू चौधरी अनपढ़ हैं और उन्हें मोबाइल या तकनीक के इस्तेमाल की भी बुनियादी जानकारी नहीं है।

यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेना शुरू किया। पूछताछ के दौरान समीर कुमार रंजन की गतिविधियां संदिग्ध लगीं। जब उससे सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने कबूल कर लिया कि धमकी देने वाला संदेश उसी ने भेजा था और उसका मकसद प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि अपने चाचा को झूठे मामले में फंसाना था।

समीर ने बताया कि उसका अपने चाचा मंटू चौधरी से लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों पक्षों में कई बार कहासुनी हो चुकी थी और मामला पंचायत तक भी पहुंचा था। इसी रंजिश में समीर ने साजिश रचते हुए अपने चाचा का मोबाइल नंबर इस्तेमाल किया और VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए संदेश भेजा ताकि ट्रैकिंग के दौरान मोबाइल लोकेशन और पहचान मंटू चौधरी तक ही सीमित रहे।

डीएसपी विधि व्यवस्था चंद्र भूषण ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया, “यह मामला बेहद संवेदनशील था क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री को धमकी दी गई थी। शुरुआत में हमने त्वरित कार्रवाई करते हुए मंटू चौधरी को हिरासत में लिया, लेकिन जल्द ही जांच ने नया मोड़ ले लिया। समीर ने स्वीकार किया कि उसने यह सब अपने चाचा को फंसाने के लिए किया था। अब समीर से गहराई से पूछताछ की जा रही है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।”

इस घटना ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि तकनीक के दुरुपयोग और पारिवारिक रंजिश में इसका गलत इस्तेमाल कैसे खतरनाक साबित हो सकता है, यह भी दिखाया है। जहां एक ओर VPN जैसी तकनीकें गोपनीयता के लिए उपयोगी मानी जाती हैं, वहीं दूसरी ओर उनके गलत इस्तेमाल से कानून व्यवस्था को चुनौती दी जा सकती है।

इस मामले के सामने आने के बाद साइबर एक्सपर्ट्स ने भी चिंता जताई है। उनका कहना है कि आम लोग तकनीकी ज्ञान की कमी के बावजूद ऐसे खतरनाक कदम उठा रहे हैं, जिससे न केवल वे खुद फंसते हैं, बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों का समय और संसाधन भी व्यर्थ होता है।

फिलहाल पुलिस समीर से पूछताछ कर रही है और उसके खिलाफ राजद्रोह, साइबर अपराध और साजिश रचने जैसे गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस साजिश में कोई और व्यक्ति शामिल था या समीर ने यह सब अकेले किया।

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि निजी रंजिश को अंजाम देने के लिए लोग अब किस हद तक जा सकते हैं। ऐसे मामलों में तकनीक का दुरुपयोग न केवल कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकता है, बल्कि यह समाज के नैतिक मूल्यों पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

**निष्कर्षतः**, इस घटना ने यह सिखाया है कि तकनीक जितनी मददगार हो सकती है, उतनी ही खतरनाक भी, अगर उसका इस्तेमाल गलत इरादों से किया जाए। कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई जरूरी है ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत दुश्मनी में राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ न कर सके।

 

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By admin

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