लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह अलग-अलग राज्यों का दौरा कर वहां के नेताओं से मिलकर पार्टी के प्रति स्थानीय जनता में क्या मनोभावना चल रही है उसका फीडबैक लेने में लगे हैं। इसी कड़ी में अमित शाह बिहार पहुंचे। उनका यह बिहार दौरा कई मायने में काफी अहम माना गया। अमित इशारों ही इशारों में अपने पार्टी के नेताओं को यह बता गए कि उन्हें आगामी चुनाव को लेकर किस तरह तैयारी करनी है किन चीजों पर विशेष फोकस करना है किन चीजों पर अधिक ध्यान नहीं देना है और कैसे लोगों के बीच जाकर पार्टी की छवि स्थापित करनी है। इनमें से कुछ अहम बातों पर आज हम चर्चा करेंगे।
1.तेल और पानी वाले बयान का असली मतलब
सबसे पहले हम बात करें अमित शाह के बयानों की तो उनका तेल और पानी वाला बयान काफी सुर्खियों में है। आम लोगों को यह लग रहा हो कि अमित शाह राजद और जदयू को लेकर यह बातें कही है। लेकिन परदे के पीछे की अगर बात करें तो भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अमित शाह इसरो ही इशारों में अपने नेता और कार्यकर्ता को यह मैसेज देना चाहते थे कि आप हमारे कैडर वोट यानी तेल पानी की तरह अपने रणनीति में शामिल कर लो ताकि यह पता रहे कि हमें किसके लिए कितनी मेहनत करनी है और किस प्रति मेहनत करके हमें अधिक फायदा हो सकता है और कहां हम मेहनत कर रहे हैं तो हम अपने इस समय की कुछ हद तक फिजूल खर्ची कर रहे हैं।
भाजपा सूत्रों की माने तो अमित शाह अपने इस बयान के जरिए यह कहना चाहते थे कि आप अपने सीमांचल के इलाकों में अपने मूल वोट यानी की पिछड़ा अति पिछड़ा श्रवण वोट पर ध्यान दें क्योंकि लालू के राजनीति में एक्टिव होने से मुस्लिम समुदाय का वोट भाजपा के पास जो पहले से मौजूद है वही आने वाला है इसमें कोई काफी बढ़ोतरी होती हुई नहीं दिख रही है। यही वजह है कि अमित शाह ने अपने भाषण की शुरुआत हिंदू प्रमुख में त्यौहार को लेकर किया और अपने पूरे भाषण में अमित शाह 8 दफा राम और रामचरितमानस 1 दफा सनातन और राम मंदिर को लेकर बातें कहीं। इस दौरान अमित शाह ने करीब चार मारतवे बिहार सरकार के तरफ से तुष्टिकरण की राजनीति करने की बात कही।
2. लालू एक्टिव और नीतीश इनएक्टिव का सही अर्थ
इसके बाद अगर हम बात करें अमित शाह के अन्य प्रमुख बयानों की तो उसमें से एक और बयान सुर्खियों में रहा वह यह था कि – लालू को एक्टिव मोड नीतीश इनएक्टिव मोड। आम लोगों को भले ही या लग रहा हो कि अमित शाह लाल के लगातार इधर-उधर राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर यह बातें कह रहे हैं लेकिन अंदरूनी सूत्रों की माने तो अमित शाह अपने पार्टी नेताओं को यह बताना चाहते थे कि आप – बिहार में भ्रष्टाचार, जंगलराज गुंडाराज, चीजों को लेकर सरकार पर हमलावर हो ताकि जनता को लगे यह सरकार सिर्फ अपराधियों को पनाह देने वाली सरकार है। यही वजह है कि उन्होंने लालू को एक्टिव करने की बात कही।
वहीं नीतीश कुमार को इन एक्टिव करने की बात करें तो अमित शाह अपने नेताओं को यह कहना चाहते थे कि आप नीतीश कुमार द्वारा करवाए गए जातीय जनगणना के मसले में बयानबाजी ना करें क्योंकि इससे पार्टी को नुकसान होगा और इसे फिर पार्टी को तकलीफ से उठानी पड़ सकती है। यही वजह है कि अमित शाह अपने पूरे भाषा में 16 दफा लाल यादव का नाम लिया तो नीतीश बाबू या नीतीश कुमार का नाम महज 10 से 11 बार ही लिया। हालांकि अमित शाह ने राजद के दूसरे सर्वमान्य नेता तेजस्वी यादव का नाम भी महज एक बार ही लिया।
3. धारा – 370 के इस्तेमाल का सही मतलब
अब हम बात करें अमित शाह के इस पूरे भाषण के तीसरे सबसे प्रमुख बयान की तो अमित शाह ने यह कहा कि – धारा 370 हटाने से देश में शांति आई है। इसके जरिए अमित शाह अपने नेताओं को यह मैसेज देना चाहते थे कि आप यह बताएं कि देश में मुस्लिम बहुल क्षेत्र से भी मोदी सरकार ने काम किया और शांतिपूर्वक वहां से आतंकी हम लोग का बदला लिया और आज वहां पर अमन और शांति स्थापित है। इसी तरह सीमांचल के इलाके में जो घुसपैठ यह बैठे हुए हैं उसे घुसपैठियों को किस तरह बाहर निकल जाए यह सिर्फ और सिर्फ भाजपा को ही अच्छी तरह मालूम है। यही वजह है कि अमित शाह अपने भाषण में 4 बार घुसपैठ और करीब 5 बार धारा 370 का जिक्र किया है।
4. छोटी सफलता पर नहीं माननी अधिक खुशी
हम अमित शाह के चौथे बयान की बात करें तो उन्होंने यह भी बताया है कि मीडिया में आपके छोटे-मोटे सफलता से देश की जनता को अब उतना फर्क नहीं पड़ने वाला है इसलिए अब यदि चुनाव जीतना है तो फिर अपराध, भ्रष्टाचार, घुसपैठ, राज्य में बढ़ते माफिया राज को अपना मुद्दा बनाएं और इस पर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार करें तभी आप बिहार में चुनाव जीत सकते हैं।
5. लोकसभा के साथ करें विधानसभा की तैयारी
इधर, बात करें सबसे प्रमुख और सबसे अहम बयान की तो देश में आगामी साल लोकसभा चुनाव है और ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टी यह चाहती है कि वह इस चुनाव में पहले से अधिक बहुमत प्राप्त करें और देश में एक बार फिर से उसकी सरकार बने। इस लिहाज अमित शाह ने इशारों ही इशारों में अपने बयानों के जरिए अपने पार्टी नेताओं को यह बता दिया कि आप मध्यावधि चुनाव को लेकर तैयार रहें।
इसलिए उन्होंने कहा कि बिहार की महागठबंधन 40 का फार्मूला बना रहा है तो आप 240 का फार्मूला तय करें। यारियां हमेशा कहना चाहते थे कि आप मध्य अवधि चुनाव की तैयारी अपने तरफ से मजबूत रखें अगर हालत बनी तो देश में मध्य अवधि चुनाव करवाया जा सकता है। अमित शाह ने करीब सात दफे मध्य अवधि चुनाव करवाने का संकेत अपने इस पूरे भाषण में दिया है जो की काफी अहम माना गया जा रहा है और इसकी आशंका बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी कई दफे जाता चुके हैं