राज्य के प्रखंड मुख्यालय के आसपास के स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम रहने पर तत्काल प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) का वेतन बंद होगा।

कार्य के प्रति लापरवाही मानते हुए कार्रवाई का निर्देश शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया है।

वहीं, विभाग ने यह भी कहा है कि 15 अगस्त के बाद प्रखंड के किसी भी स्कूल में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम रहने पर संबंधित बीईओ का वेतन बंद करने के साथ ही उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी चलाई जाएगी।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को सोमवार को पत्र जारी किया गया है।

इसमें स्पष्ट किया गया है कि प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक किसी भी स्कूल में उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम हुई तो बीईओ के विरुद्ध कार्य के प्रति घोर लापरवाही और आदेश की अवहेलना का आरोप गठित होगा।

इस बाबत माध्यमिक शिक्षा के निदेशक कन्हैया प्रसाद ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि निरीक्षण रिपोर्ट से यह साफ हुआ है कि स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति में सुधार हो रहा है।

साथ ही यह भी तथ्य प्रकाश में आया है कि प्रखंड मुख्यालय, जहां बीईओ का कार्यालय है, वहां के कुछ स्कूलों में अब भी बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है।

यह चिंता का विषय है। निरीक्षण रिपोर्ट के विश्लेषण से यह भी साफ होता है कि बीईओ के द्वारा अपने कार्यालय के आसपास भी गुणात्मक निरीक्षण नहीं किया जा रहा है। इससे अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं।

पदाधिकारियों की निरीक्षण रिपोर्ट बताती है कि राज्य के 12 प्रतिशत प्राथमिक और मध्य विद्यालय अब भी ऐसे हैं, जहां पर बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम रह रही है।

वहीं, यह स्थिति राज्य के करीब 20 प्रतिशत माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों की है। इस तरह देखें तो प्राथमिक की अपेक्षा माध्यमिक-उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कम संख्या में विद्यार्थी आ रहे हैं।

मालूम हो कि एक जुलाई से प्रतिदिन राज्य के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है।

स्कूलों की शौचालय मरम्मत की रिपोर्ट हर रोज विभाग को भेजी जाएगी

राज्य के स्कूलों के शौचालयों को उपयोग के लायक बनाये रखने को लेकर शिक्षा विभाग ने अभियान चलाने का निर्देश जिलों, प्रखंडों और प्रधानाध्यापकों को दिया है।

इसी क्रम में जिलों को जिम्मेदारी दी गई है कि खासकर हाई स्कूल और प्लस टू के शौचालयों की मरम्मिति और स्कूल भवनों के रख-रखाव की रिपोर्ट प्रतिदिन विभाग को भेजी जाएगी।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में इव बावत दिशा-निर्देश जारी किया है। जिलाधिकारियों को पत्र भी लिखा है।

पत्र में कहा है कि विद्यालय प्रबंध समिति व प्रधानाध्यापक के खर्च के अधिकारी को लेकर मासिक-वार्षिक बंधेझ से मुक्त कर दिया है।

हाई स्कूलों और प्लस के खाते में 1108 करोड़ पड़े हुए हैं।

सुविधाएं देने पर भी यह हाल

जिलों को लिखे पत्र में यह भी कहा गया है कि बीईओ के कार्यालयों के सुदृढ़ीकरण और निरीक्षण के लिए पर्याप्त सुविधाएं मुहैया करा दी गई हैं।

फिर भी, बीईओ के द्वारा ठीक ढंग से निरीक्षण नहीं करना और कम-से-कम उनके कार्यालय के आसपास के स्कूलों में भी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं होने के लिए उन्हें जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता है।

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