उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें प्रेम प्रसंग के चलते एक गर्भवती महिला की जान चली गई। यह मामला न केवल इंसानियत को शर्मसार करता है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र की अनियमितताओं की भी पोल खोलता है। मृतक महिला शहनाज बानो, जो कि चार महीने की गर्भवती थी, अपने प्रेमी के साथ अवैध रूप से गर्भपात कराने गई थी, जहां अत्यधिक रक्तस्राव के चलते उसकी मौत हो गई। इसके बाद प्रेमी और डॉक्टर ने मिलकर शव को गेहूं के खेत में फेंक दिया, ताकि मामले को दबाया जा सके।

शहनाज बानो की शादी मकबूल अहमद से हुई थी, जो कि सऊदी अरब में काम करता है। शहनाज अपने ससुर के साथ घर में रहती थी। हालांकि, शादीशुदा होने के बावजूद उसका अपने पुराने प्रेमी इरफान से वर्षों से संबंध था। इरफान का ननिहाल अंतू में है और वह अक्सर शहनाज से मिलने आता था। यह रिश्ता छुपा रहा, लेकिन तब सबके सामने आया जब शहनाज की गर्भावस्था उजागर हो गई। जब परिवार को इस बात की भनक लगी तो स्थितियां बिगड़ गईं।

बताया जा रहा है कि 2 अप्रैल की रात शहनाज अपने प्रेमी इरफान के साथ घर से भाग गई। अगले दिन उसके ससुर ने थाने में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई। इस बीच, शहनाज और इरफान ने लालगंज के एक निजी अस्पताल, संजीवनी नर्सिंग होम, में गर्भपात कराने का निर्णय लिया। अस्पताल में बिना किसी वैध अनुमति के गर्भपात की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। लेकिन प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग के कारण शहनाज की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।

घटना के बाद प्रेमी इरफान और डॉक्टर नफीस अहमद घबरा गए। उन्होंने मामले को दबाने के लिए शव को अस्पताल से हटाकर एक गेहूं के खेत में फेंक दिया। लेकिन जल्द ही पुलिस को इस बात की जानकारी मिल गई। छानबीन के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। दोनों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

इस घटना ने प्रशासन को भी सकते में डाल दिया। जैसे ही यह मामला उजागर हुआ, एसडीएम लालगंज और डिप्टी सीएमओ डॉ. राजेश कुमार की अगुवाई में संजीवनी नर्सिंग होम को सील कर दिया गया। इसके अलावा, अस्पताल में उपयोग किए गए अल्ट्रासाउंड की जांच करते हुए कल्पना अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भी कार्रवाई की गई है। इस जांच के तहत डॉ. हसनैन के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है।

प्रशासन का कहना है कि अस्पताल में गर्भपात के लिए कोई वैध अनुमति नहीं थी और यह पूरी प्रक्रिया गैरकानूनी ढंग से की गई थी। इसके अलावा, किसी महिला की जान जाने के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना नहीं दी, जिससे यह साबित होता है कि मामला छिपाने की पूरी कोशिश की गई।

जांच अधिकारी ने बताया कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है। मेडिकल बोर्ड द्वारा शव का पोस्टमार्टम कराया गया है और सभी सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं ताकि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके। इस घटना ने न केवल समाज में प्रेम संबंधों और विवाहेतर संबंधों की जटिलताओं को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि किस तरह गैरकानूनी चिकित्सा प्रक्रियाएं लोगों की जान ले सकती हैं।

इस हृदय विदारक घटना ने जिले भर में सनसनी फैला दी है और लोगों में आक्रोश है। सवाल उठ रहे हैं कि कैसे एक निजी नर्सिंग होम बिना किसी कानूनी अनुमति के गर्भपात जैसी संवेदनशील प्रक्रिया को अंजाम दे रहा था और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं थी। 

जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन द्वारा जिले के सभी निजी अस्पतालों की जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।

**निष्कर्ष:** 
प्रतापगढ़ की यह घटना एक त्रासदी है जो प्रेम, धोखे और लापरवाही के खतरनाक मेल का परिणाम है। यह केस कानून, नैतिकता और चिकित्सा व्यवस्था तीनों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह है कि न्याय प्रणाली इस मामले में कितना जल्दी और सख्त फैसला सुनाती है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

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