पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर बहुत ज्यादा बातें चल रही हैं। पंजाब में सुरक्षा की कमी की बात को लेकर मुद्दा उठाया जा रहा है। जहां पीएम की सुरक्षा की बातें हो रही हैं वहीं क्या कभी आपने ये सोचने की कोशिश की है कि आखिर पीएम की सुरक्षा का जो बड़ा काफिला चलता है वो ऑपरेट कैसे करता है या फिर पीएम के साइड में जो लोग काला बैग लेकर चलते हैं वो कौन होते हैं और ये क्यों होता है?

तो चलिए आज इसी बारे में बात करते हैं कि आखिर प्रधानमंत्री के काफिले में किस तरह की सुरक्षा होती है और आखिर ये ब्लैक बैग का क्या चक्कर है जो हमेशा प्रधानमंत्री के आस-पास ही रहता है।

कौन करता है प्रधान मंत्री की सुरक्षा?

प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप जिम्मेदार होता है। इसी ग्रुप की जिम्मेदारी होती है कि प्रधान मंत्री के जाने से पहले और जाने के बाद तक के सारे इंतज़ाम देखे जाएं और वो जहां भी जा रहे हों वो उनके साथ चलें।

यही ग्रुप देश ही नहीं विदेशी दौरों पर भी प्रधानमंत्री के साथ ही चलते हैं। ये सिर्फ पीएम के साथ ही नहीं बल्कि उनके परिवार वालों के साथ भी चलते हैं। समझ लीजिए कि प्रधानमंत्री जहां जाएंगे वहां ये लोग मौजूद होंगे।

उनके आवास में, उनके घर वालों के साथ, देश के दौरे में, रैलियों में, किसी सार्वजनिक फंक्शन में, संसद में, विदेशी दौरों में आदि।

पूर्व प्रधानमंत्रियों की भी होती है सुरक्षा-

ये सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री यानि नरेंद्र मोदी के लिए नहीं है बल्कि ये पहले के प्रधानमंत्रियों के लिए भी है। इस फोर्स का गठन ही हाई प्रोफाइल सुरक्षा के लिए किया गया था। एसपीजी 1988 में बनाई गई थी और इसे देश की सबसे पुख्ता सुरक्षा एजेंसी माना जाता है। बीबीसी की एक रिपोर्ट कहती है कि हर साल इस एजेंसी पर 375 करोड़ से ज्यादा का खर्च किया जाता है।

कुछ इस तरह होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा-

रिपोर्ट्स के अनुसार प्रधानमंत्री के सुरक्षा दौरे से पहले खास तैयारियां की जाती हैं। अगर कोई चुनाव रैली या कोई दौरा है तो पहले उस जगह का निरिक्षण किया जाता है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात होते हैं और बॉम्ब आदि की जांच भी की जाती है।

उनके आने से पहले ही एसपीजी की एक टुकड़ी तैनात कर दी जाती है और वहां पर आईबी यानि इंटेलिजेंस ब्यूरो और देश की अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी तैयार रहती हैं।

इसके लिए एडवांस में मीटिंग होती है और कई मामलों में तो प्रधानमंत्री के एक दौरे का इंतज़ाम महीनों पहले से होने लगता है। इसमें स्थानीय पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों को भी जोड़ा जाता है। हर चीज़ के दो से तीन विकल्प रखे जाते हैं। यानी अगर पीएम के रुकने की जगह पर कोई सुरक्षा खामी देखी गई तो उसका विकल्प मौजूद होगा।

क्योंकि ये Z+ सुरक्षा के अंतरगत आता है तो उनकी सुरक्षा के लिए 55 जवान तैनात रहते हैं जिसमें से 10 से ज्यादा कमांडो होते हैं और बाकी अन्य सुरक्षा एजेंसियों के जवान। ये सभी हर तरह की युद्ध कला में पारंगत रहते हैं और आने वाले किसी भी तरह के खतरे से लड़ने के लिए इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है।

आपको बता दें कि एसपीजी के ग्रुप के सदस्यों को छुट्टी नहीं दी जाती है और उनका इस्तीफा भी नहीं होता है।

क्या होता है प्रधानमंत्री के साथ चलने वाले ब्रीफकेस में?

अब बात करते हैं उस ब्रीफकेस की जिसे लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं। जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए थे तब उनके साथ कमांडो ब्लैक ब्रीफकेस लेकर चल रहे थे। तब ये अफवाह उड़ी थी कि राष्ट्रपति अपने साथ न्यूक्लियर हथियारों के कोड्स लेकर आए हैं।

ऐसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरों पर भी इस तरह की बातें उठती हैं, लेकिन क्या वाकई इस ब्रीफकेस में न्यूक्लियर हथियारों के कोड्स होते हैं? इसका जवाब है नहीं।

दरअसल, ये एक तरह का सुरक्षा कवच होता है। ये पोर्टेबल बुलेट प्रूफ शील्ड होती है और एक बटन दबाते ही ये शील्ड पूरी तरह से बुलेट प्रूफ कवर का रूप ले लेती है।

इसमें खूफिया कम्पार्टमेंट्स भी होते हैं जिनमें बंदूक रखी होती है। अगर प्रधानमंत्री पर कोई अचानक हमला करता है तो इन्हें लेकर चल रहे कमांडो एक तरह का पिरामिड बनाएंगे जिससे प्रधानमंत्री को तुरंत सुरक्षा दी जा सके।

ये सारी गाइडलाइन्स एक तय प्रोटोकॉल के आधार पर बनाई जाती हैं और इसके कारण ही प्रधानमंत्री को वो सुरक्षा मिल पाती है।

उम्मीद है इस स्टोरी में आपको आपके सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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