विश्व योग दिवस पर आप सभी को ढ़ेर सारी शुभकामनायें,,,
मनुष्य का स्वस्थ रहना कितना ज़रूरी हैं,,,
और स्वस्थ रहने के लिए योग और मार्शल आर्ट एक आखिरी विकल्प हैं,,,
योग और मार्शल आर्ट्स भारत की दो महान विद्यायें —
मानव स्वभाव का अध्ययन कर भारतीय ऋषि- महर्षियों ने वेद के माध्यम से दो विशेष विद्याओं का प्रतिपादन किया। उनका मानना था कि मन अति चंचल है और चंचलता के कारण मनोनिग्रह करना अति कठिन है। अतः जो लोग नियमित जीवनचर्या का यापन करने का मार्ग अपनाते हैं, उन्हें योग साधना का मार्ग (आसन, प्रणायाम, क्रियाएं, मुद्राएं, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान आदि ) का अनुसरण करने की प्रेरणा दी गई । परंतु इसके विपरीत अति चंचल स्वभाव वाले बहु- प्रतिभाशाली, तीव्रगामी महानुभावों के लिए मार्शल आर्ट्स का मार्ग सुझाया गया। योग मार्ग और मार्शल आर्ट्स दोनों का ही चरम लक्ष्य है “चित्त की एकाग्रता”। यह साधना पद्धतियां चित्त को एक ही वृति में लय करती है ।


मार्शल आर्ट्स से इन्द्रियों की सक्रियता प्रचुर मात्रा में बढ़ जाती है। इस विद्या के साधक को इंद्रियों की सक्रियता तीव्रतम करनी होती है, ताकि मन अपनी चंचलता त्याग कर इन्द्रिय की गति पर एकाग्र हो जाए। जैसे-जैसे एकाग्रता बढ़ती जाती है वैसे-वैसे मन लयावस्था प्राप्त करता जाता है।मन के लय होने पर यह गति धीरे-धीरे संयमित होकर स्थिर हो जाता है । इससे साधक में आध्यात्मिक आत्मविश्वास, शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक विकास होता है और वह स्वस्थ, संयमी, दृढ़ एवं निरोगी रहता है।
विद्वानों ने मानसिक शांति के तीन सिद्धांत, तरीके बताएं हैं ।

वे हैं – 1. धर्म ग्रंथों का अध्ययन, मनन और चिंतन 2. साधना 3. शारीरिक श्रम। इस प्रकार मार्शल आर्ट्स मानसिक शांति प्राप्त करने की भी एक साधना है, क्योंकि इसमें अतिशय शारीरिक श्रम की आवश्यकता पड़ती है। बौद्ध धर्म के अनुसार शरीर एवं आत्मा की एकात्मकता ही ज्ञान प्राप्ति का मार्ग है एवं इसके लिए प्राथमिक आवश्यकता है “आत्मा की शुद्धि”। आत्मशुद्धि तभी सम्भव है जब शरीर को कड़े अनुशासन में रखा जाए। इस प्रकार स्पष्ट है कि मार्शल आर्ट्स आत्मा एवं शरीर के एकीकरण में सहायक है।


मार्शल आर्ट्स के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलुओं में सर्वोच्च इस कला में निहित आध्यात्मिक तत्व एवं भावना ही तो है किन्तु यह इस कला का चरम बिन्दु है । यहाँ तक पहुंचना हर किसी के लिए असम्भव है । इसके लिए सारी उम्र ही साधना करनी पड़ सकती है । भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है”आत्मा की शुद्धि” ही योग है। इस प्रकार हम देखते हैं कि योग और मार्शल आर्ट्स का रास्ता थोड़ा भिन्न होते हुए भी लक्ष्य बिलकुल एक ही है । दोनों का लक्ष्य ” चित्त की एकाग्रता यानि स्थिरता ” एवं “आत्मा की शुद्धि ” है। इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । यह भी कहा जा सकता है कि मार्शल आर्ट्स योग का ही अंश है

क्योंकि मार्शल आर्ट्स का सारा व्यायाम योग आसन का ही तो रूप है बस उसको गतिमान रूप दे दी गई है और मार्शल आर्ट्स का व्यक्ति जो इतना शक्तिशाली बनता है उसमें खास देन है इस कला का विशेष ” ब्रीदिंग तकनीक ” जो श्वांस-प्रश्वास पर आधारित है यानि वो है प्राणायाम । इन्हीं श्वांस- प्रश्वांस के तकनीक के माध्यम से ही एक मार्शल आर्टिस्ट अपनी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक , धारणा शक्ति, संकल्प शक्ति या इच्छा शक्ति का विकास करता है। इसका अभ्यास करने वाला व्यक्ति शांत, सरल और सौम्य होता चला जाता है। इस कला के लोगों का मानना है कि इससे हृदय निर्मल होता है और अच्छे विचारों का प्रादुर्भाव होता है । आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है , जिससे सच्चरित्र का निर्माण होता है ।

भागलपुर मार्शल आर्ट एक्सपर्ट
अभीजीत कुमार…
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