आज हिंदी दिवस मनाया जा रहा है. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने हिंदी के पक्ष में अखिल भारतीय स्तर पर पैरवी करने वाले व्यौहार राजेन्द्र सिंह के जन्मदिन पर हिंदी दिवस प्रस्तावित किया.

हर साल 14 सितंबर जनवरी को हिंदी दिवस मनाया जाता है. हिंदी भाषा को पसंद करने वाले लोगों के लिए 14 सितंबर  यानी आज का दिन बेहद महत्व रखता है. किसी भी देश की संस्कृति, सभ्यता और जीवनशैली का पता उसकी भाषा के माध्यम से ही किया जा सकता है.   दुनिया भर में लगभग 120 मिलियन लोग दूसरी भाषा के रूप में हिंदी बोलते हैं, और 420 मिलियन से अधिक लोग इसे अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं.

इसलिए भी खास है हिंदी दिवस

राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने हिंदी के पक्ष में अखिल भारतीय स्तर पर पैरवी करने वाले व्यौहार राजेन्द्र सिंह के जन्मदिन पर हिंदी दिवस प्रस्तावित किया.

जानिए कौन थे व्यौहार राजेन्द्र सिंह

व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के काफी प्रयास किया था. वह उस दौर में हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष थे. उनका जन्म 14 सितंबर, 1900 को जबलपुर में हुआ था. आजादी मिलने के बाद से हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने की कोशिशें शुरू हो गईं थीं. इसमें काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्द दास के साथ मिलकर राजेन्द्र ने लंबी लड़ाई लड़ी थी. राजेंद्र जी ने अमेरिका में विश्व सर्वधर्म सम्मलेन के कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए सर्वधर्म सभा में हिंदी में भाषण दिया जिसकी खाफी सराहना हुई थी.

क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस

हिंदी जन-जन की भाषा है. 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में दर्जा दिया गया था. हिंदी के महत्व को लोगों को बताने के लिए “राष्ट्रभाषा प्रचार समिति” द्वारा हर साल 14 सितंबर को हिंदी राजभाषा दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया गया. संविधान निर्माताओं ने हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे संविधान में जगह दी. भारत के संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343 (1) में कहा गया है कि राष्ट्र की राज भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी. इसके बाद 14 सितंबर के दिन को चुना गया और इस दिन हिंदी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.

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