कांग्रेस के चुनाव अभियान के नेतृत्व और अगुआई शब्द को लेकर पार्टी के भीतर शुरू हुई खींचतान से पूर्व सीएम हरीश रावत आहत हैं। बकौल रावत, कुछ लोग यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि मेरे द्वारा नेतृत्व शब्द का इस्तेमाल करने पर हाईकमान से मुझे डांट पड़ी है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।

रावत ने सोशल मीडिया के जरिए अपने मन की बात को साझा किया है। कुछ दिन पहले कांग्रेस हाईकमान ने सभी नेताओं को दिल्ली तलब किया था। इस बैठक में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ कहा कि चुनाव रावत की सरपरस्ती में लड़ा जाएगा और सभी लोग उनका सहयोग करेंगे।

इसके बाद रावत ने दून में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि चुनाव मेरे नेतृत्व में लड़ा जाएगा। अगले ही दिन उनका बयान आया कि नेतृत्व शब्द अंहकार दर्शाता है। इसलिए चुनाव मेरे नेतृत्व में नहीं अगुआई में लड़ा जाएगा। इस बयान पर कांग्रेस का एक खेमा हाईकमान की रावत से नाराजगी के रूप में जाहिर करता आ रहा है। कहा जा रहा है कि हाईकमान ने रावत को डांट लगाई है।

पर्व सीएम हरीश रावत ने कहा, ”दिल्ली बैठक में हाईकमान ने कहा कि चुनाव अभियान का नेतृत्व पूर्णत: हरीश रावत के हाथ में होगा। जनता मेरे नेतृत्व शब्द को अहंकार न मान ले इसलिए मैने अगुआई शब्द का प्रयोग किया। अब कुछ लोग दून से दिल्ली तक यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि मुझे कोई डांट पड़ी है। मगर नेतृत्व और अगुआई में क्या अंतर है, क्या ये मुझे वाणी बहादुरों को समझाना पड़ेगा?”

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