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राज्य के ग्रामीण आवास कर्मियों की समस्याओं और अधिकारों को लेकर शनिवार को भागलपुर में एक अहम पहल देखी गई। **सगासा संघर्ष समन्वय समिति, बिहार** के बैनर तले जिले के सैकड़ों ग्रामीण आवास सहायकों, पर्यवेक्षकों और प्रखंड लेखापालों ने **16 सूत्रीय मांग पत्र** जिलाधिकारी को सौंपा। इस मांग पत्र के माध्यम से उन्होंने अपनी सेवा शर्तों में सुधार और स्थायीत्व को लेकर जोरदार तरीके से अपनी आवाज बुलंद की।

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ग्रामीण आवास कर्मियों की सबसे बड़ी मांग है कि उन्हें **राज्यकर्मी का दर्जा** दिया जाए। उनका कहना है कि वे प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत वर्षों से कार्यरत हैं और जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, फिर भी उन्हें अस्थायी और अल्प मानदेय पर काम करना पड़ रहा है।

**सेवा स्थायीत्व**, **मानदेय में नियमित वृद्धि**, और **सामाजिक सुरक्षा योजनाओं** में समावेश उनकी अन्य प्रमुख मांगों में शामिल हैं। प्रतिनिधियों ने कहा कि कई वर्षों से मानदेय में कोई वृद्धि नहीं हुई है जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे जीवन यापन करना मुश्किल होता जा रहा है। उन्होंने यह भी मांग की कि हर **तीन वर्षों में मानदेय का पुनरीक्षण** अनिवार्य रूप से किया जाए और **हर वर्ष न्यूनतम 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि** सुनिश्चित की जाए।

मांग पत्र में ग्रामीण आवास कर्मियों की नौकरी को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए कई अहम प्रस्ताव रखे गए हैं। इनमें **सेवा पुस्तिका का संधारण**, **सेवा शर्त नियमावली का निर्धारण**, **बीमा योजना**, **पेंशन**, **चिकित्सा सुरक्षा**, तथा **सेवांत लाभ** जैसे अधिकारों की मांग की गई है।

समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि **बिना किसी स्पष्ट कारण या विभागीय जांच के सेवा समाप्ति की प्रक्रिया पर तत्काल रोक** लगाई जानी चाहिए, ताकि कर्मियों को मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा मिल सके।

सगासा संघर्ष समन्वय समिति के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार द्वारा इन मांगों पर शीघ्र एवं सकारात्मक पहल नहीं की गई, तो वे **राज्यव्यापी आंदोलन** शुरू करने को विवश होंगे। यह आंदोलन शांतिपूर्ण होगा, लेकिन निर्णायक दबाव बनाने के लिए चरणबद्ध रूप में आयोजित किया जाएगा।

**ज्ञापन सौंपते समय कर्मियों ने सरकार से अपील की कि वे इन जमीनी कार्यकर्ताओं की कठिनाइयों और सेवा समर्पण को समझे और उन्हें वह सम्मान व सुविधा दे जो वे वर्षों से अर्जित कर चुके हैं।**

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की आवासीय योजनाओं की सफलता के पीछे इन्हीं कर्मियों की मेहनत है, और अब समय आ गया है कि उनकी स्थिति को स्थायीत्व, सुरक्षा और गरिमा मिले।

 

 

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