मुंगेर की गंगा स्वच्छ होगी। गंगा में गंदे पानी का बहाव नहीं होगा। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए 3.5 अरब खर्च होंगे। नमामि गंगे परियोजना के तहत सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) योजना पर काम शुरू हो गया है। चौखंडी के पास 30 एमएलडी के इंटरमिडियट पंपिग स्टेशन का काम तेज गति से जारी है। इस प्लांट में शहर के बड़े नाला और नालियों का पानी सीधा आएगा। यहां से साफ करने के बाद पानी गंगा में जाएगा। घरों के गंदे पानी को पंपिग स्टेशन तक पहुंचाया जा सके, इसके लिए नगर निगम क्षेत्र के 45 वार्डों में नौ हजार मेन होल का निर्माण होगा। मेन होल शहर के सभी घरों से कनेक्ट होगा। मेन होल नेटवर्किंग के माध्यम घरों के दूषित पानी पंपिग स्टेशन में पहुंचकर रिसाइकलिग होगी। इसके लिए पांच पंपिग स्टेशन भी बनेगा। पंपिग स्टेशन से दूषित पानी को रिसाइकलिग कर मेन पंपिग स्टेशन में लाया जाएगा। फाइनल रिसाइकलिग कर उसे सिचाई के लिए उपयोग में लाया जाएगा। गंगा को मिलेगी नाले से मुक्ति नामामि गंगे परियोजना के तहत किए जा रहे इस कार्य का मूल उदेश्य है गंगा को स्वच्छ बनाना। दरअसल, पुरानी व्यवस्था के तहत अभी शहर के घरों से निकलने वाले गंदे पानी को बड़े नालों के माध्यम से गंगा में गिराया जाता है। कष्टहणी घाट, लल्लू पोखर , चुआबाग , बबुआ घाट सहित कई घाटों पर शहर की बड़े नाले के माध्यम घरों के दूषित पानी को गंगा में बहते देखा जा सकता है। इस परियोजना के पूरा होने से गंगा नदी को शहर के नालों से मुक्ति मिल जाएगी। एसबीआर तकनीक से हो रहा निर्माण सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण सिक्वेसियल,बैच रिएक्टर(एसबीआर) तकनीक से किया जा रहा है। इस तकनीक से घरों के दूषिष पानी को रिसाइकलिग कर न सिर्फ पानी की बर्बादी को रोका ला सकेगा। बल्कि इस पानी को सिचाई के लायक बनाया जा सकेगा।
दो वर्षों में पूरा होगा काम इस प्रोजेक्ट पर बुडको के माध्यम इएमएस कंपनी काम कर रही है। योजना को दो वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य निर्माण एजेंसी को दी गई है। काम की गति को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है 2022 के अंत या 2023 के शुरुआती दौर में काम को पूरा किया जा सकेगा। कोट -काम पूरी गति से चल रहा है। शहर में मेन होल पर नेटवर्किंग का काम हो रहा है। मेन इंटरमिडियेट पाइप लाइन का काम समय पर होगा, जो तय समय दिया गया है उससे पहले काम को पूरा करने की कोशिश है। -रामायण राम, कार्यपालक अभियता बुडको।