कहलगांव में गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। मंगलवार को गंगा खतरे के निशान से 67 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई। गंगा के साथ इससे जुड़ी कई नदियां उफान पर हैं। आलम ये है कि स्कूलों और खेत खलिहान जलमग्न हैं।

भागलपुर: कहलगांव में गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। मंगलवार को गंगा खतरे के निशान से 67 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई। गंगा के साथ इससे जुड़ी कुआ, भयना, गेरुआ, घोघा आदि नदियां भी लबालब भर चुकी हैं। दियारा इलाका और चौर जलमग्न हैं। रेलवे लाइन के दोनों ओर और एनएच का पूर्वी भाग भी जलमग्न हो चुका है। तोफिल, अनठावन, पकड़तल्ला, आमापुर, पक्कीसराय आदि गांवों के निचले हिस्सों में स्थित सैकड़ों घरों में पानी फैल गया है। कई गांव घिरे हुए हैं। आगे की गांव की तरफ पानी तेजी से फैल रहा है। ग्रामीणों में हड़कंप मचा हुआ है। किसान के खेतों में लगी मक्का, धान, मिर्च, अरहर आदि फसलें डूब गई हैं।

किसान प्रकृति के प्रकोप से कुहर रहे हैं। गंगा लबालब भर जाने के चलते फिलहाल कटाव रुका हुआ है। प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की राहत उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। पानी घटने की बात कहकर टाला जा रहा है। अंचलाधिकारी ने कहा कि बाढ़ की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। नवगछिया की सड़कों पर तीन-चार फीट ऊंचा बह रहा बाढ़ का पानी गंगा के जलस्तर लगातार बढ़ने से गोपालपुर और इस्माइलपुर प्रखंड का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

गोपालपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित सैदपुर-सुकटिया बाजार व तिनटंगा करारी सड़क पर तीन से चार फीट पानी बह रहा है। इस कारण यातायात पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। गोपालपुर मुस्लिम टोला के निकट पुलिया से पानी तेजी से बहने लगा है। बाढ़ का पानी खेतों में फैल गया है। केला की फसल डूबने की संभावना से किसानों में मायूसी छाने लगी है। इस्माइलपुर खेतों में लगी सब्जी की फसलें डूब गई हैं। बेमौसम बाढ़ के कारण इस बार रबी की बोआई समय पर नहीं हो पाएगी। इस डर से किसानों के समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।

किसान खंतर मंडल, मनोरंजन यादव आदि ने बताया कि दोबारा बाढ़ आने से पशु चारे की किल्लत हो गई है। प्रखंड के कई विद्यालयों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। इससे विद्यालयों में होने वाली परीक्षा प्रभावित हो गई है। बच्चे बाढ़ के पानी से होकर विद्यालय पहुंच रहे हैं। ज्यादातर विद्यालयों में पानी भरा होने से बच्चे नहीं जा रहे हैं। ऐसे विद्यालयों में केवल अध्यापक ही पहुंच रहे हैं।

बाढ़ के कारण अपने ही हाथों उखाड़ रहे बोई फसलें

बाढ़ के कारण इस बार किसानों को दोहरी मार पड़ी है। सारी फसलें पिछात हो जाएंगी। दियारा क्षेत्र के किसान इस समस्या से ज्यादा प्रभावित हैं। तीसरी बार गंगा के जलस्तर में हुई वृद्धि ने किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हुई। किसान पिछली बाढ़ के बाद आश्वस्त थे कि अब बाढ़ नहीं आएगी और सब्जियां उगा दी थीं। खेतों में टमाटर, मिर्ची, परवल इत्यादि के बिचड़े बो दिए थे। अचानक आई बाढ़ ने खेतों को डुबा दिया जिससे किसानों की मेहनत और पूंजी दोनों बर्बाद हो गईं। घोघा दियारा के किसान खेतों से बिचड़े उखाड़कर घर ला रहे हैं। किसान चमकलाल मंडल, संतोष मंडल, योगेश मंडल इत्यादि कहते हैं कि इन बिचड़ों को नर्सरी की तरह सुरक्षित रखा जाएगा। बाढ़ समाप्ति के बाद फिर से खोतों में लगाया जाएगा। फिर जो किस्मत होगा वह हमें मिलेगा। पानी के ठहराव से फसल चक्र का समय समाप्त हो जाएगा। फसलें होंगी भी तो पिछात। इससे उत्पादन पर जबरदस्त असर होता है।

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